Go To Mantra

ऋ॒तावा॑नः प्रति॒चक्ष्यानृ॑ता॒ पुन॒रात॒ आ त॑स्थुः क॒वयो॑ म॒हस्प॒थः। ते बा॒हुभ्यां॑ धमि॒तम॒ग्निमश्म॑नि॒ नकिः॒ षो अ॒स्त्यर॑णो ज॒हुर्हि तम्॥

English Transliteration

ṛtāvānaḥ praticakṣyānṛtā punar āta ā tasthuḥ kavayo mahas pathaḥ | te bāhubhyāṁ dhamitam agnim aśmani nakiḥ ṣo asty araṇo jahur hi tam ||

Mantra Audio
Pad Path

ऋ॒तऽवा॑नः। प्र॒ति॒ऽचक्ष्य॑। अनृ॑ता। पुनः॑। आ। अतः॑। आ। त॒स्थुः॒। क॒वयः॑। म॒हः। प॒थः। ते॒। बा॒हुऽभ्या॑म्। ध॒मि॒तम्। अ॒ग्निम्। अश्म॑नि। नकिः॑। सः। अ॒स्ति॒। अर॑णः। जु॒हुः। हि। तम्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:24» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:2» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:7


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषयको अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो (तावानः) सत्य आचरणों का सेवन करनेहारे (कवयः) पण्डित लोग (महः) बड़े धर्मयुक्त (पथः) मार्गों पर (आ,तस्थुः) अच्छे प्रकार स्थित होते (ते) हे (अतः) इस कारण से (पुनः) बार-बार (अनृता) अधर्मयुक्त व्यवहारों को (प्रतिचक्ष्य) खण्डित कर इनको (आ, जहुः) सब प्रकार छोड़ते हैं जो (अरणः) विज्ञानी (बाहुभ्याम्) हाथों से (अश्मनि) पत्थर पर (धमितम्) प्रज्वलित करके (अग्निम्) अग्नि को त्याग करता (नकिः) नहीं (अस्ति) अर्थात् ग्रहण करता है (सः, हि) वही (तम्) उस बोध को प्राप्त होता है ॥७॥
Connotation: - जो अविद्या और अधर्माचरण का खण्डन श्रेष्ठ मार्ग का सेवन करते हैं, वे हाथों से धौंपने से काष्ठादिस्थ अग्नि को उत्पन्न कर कार्यों को सिद्ध करते और अभीष्ट को प्राप्त होते हैं ॥७॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

य तावानः कवयो महस्पथ आतस्थुस्तेऽतः पुनरनृता प्रतिचक्ष्यैतान्याजहुः। योऽरणो बाहुभ्यामश्मनि धमितमग्निं त्यजन्नकिरस्ति हि खलु तं बोधं प्राप्नोति ॥७॥

Word-Meaning: - (तावानः) य तानि सत्याचरणानि वनन्ति संभजन्ति ते (प्रतिचक्ष्य) निषेध्य (अनृता) अधर्म्यव्यवहारान् (पुनः) (आ) (अतः) हेतोः (आ) (तस्थुः) समन्तात् तिष्ठन्ति (कवयः) प्राज्ञाः (महः) महतो धर्म्यान् (पथः) मार्गान् (ते) (बाहुभ्याम्) (धमितम्) प्रज्वालितम् (अग्निम्) (अश्मनि) पाषाणे (नकिः) निषेधे (सः) (अस्ति) (अरणः) विज्ञाता (जहुः) त्यजन्ति (हि) खलु (तम्) ॥७॥
Connotation: - येऽविद्याऽधर्माचरणं प्रत्याख्याय सन्मार्गं सेवन्ते कराभ्यां धमनेन काष्ठादिमग्निमुत्पाद्य कार्य्याणि साध्नुवन्ति तेऽभीष्टं प्राप्नुवन्ति ॥७॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे अविद्या व अधर्माचरणाचा त्याग करून श्रेष्ठ मार्ग पत्करतात ते काष्ठ इत्यादीमध्ये असलेला अग्नी घर्षणाने उत्पन्न करून कार्य सिद्ध करतात आणि अभीष्ट प्राप्त करतात. ॥ ७ ॥