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विश्वं॑ स॒त्यं म॑घवाना यु॒वोरिदाप॑श्च॒न प्र मि॑नन्ति व्र॒तं वा॑म्। अच्छे॑न्द्राब्रह्मणस्पती ह॒विर्नोऽन्नं॒ युजे॑व वा॒जिना॑ जिगातम्॥

English Transliteration

viśvaṁ satyam maghavānā yuvor id āpaś cana pra minanti vrataṁ vām | acchendrābrahmaṇaspatī havir no nnaṁ yujeva vājinā jigātam ||

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Pad Path

विश्व॑म्। स॒त्यम्। म॒घ॒ऽवा॒ना॒। यु॒वोः। इत्। आपः॑। च॒न। प्र। मि॒न॒न्ति॒। व्र॒तम्। वा॒म्। अच्छ॑। इ॒न्द्रा॒ब्र॒ह्म॒ण॒स्प॒ती॒ इति॑। ह॒विः। नः॒। अन्न॑म्। युजा॑ऽइव। वा॒जिना॑। जि॒गा॒त॒म्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:24» Mantra:12 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:3» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राज प्रजा विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (मघवाना) प्रशस्त धनवाले (इन्द्रा ब्रह्मणस्पती) राज्य और धन के रक्षक लोगों जो (युवोः) तुम्हारे (आपः) प्राणों (सत्यम्) अविनाशी धर्मको (विश्वम्) सब जगत् को (अमिनन्ति) नष्ट भ्रष्ट करते (वाम्) तुम्हारे नियम को तोड़ते हैं उनको नष्टकर (वाजिना) दो घोड़े वेगवाले (युजेव) जैसे संयुक्त हों वैसे (नः) हमारे (हविः) भोजन के योग्य (अन्नम्) अन्न को (जिगातम्) प्राप्त होओ ॥१२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जैसे सुशिक्षित युक्त किये घोड़े रथ को पहुँचा कर शत्रुओं को पराजित कराते वैसे राज्यैश्वर्य्य को प्राप्त हुए राज प्रजाजन सत्याचरण के विरोधियों को निवृत्त कर प्राण के अभयरूप दान को तुम लोग देओ ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजप्रजाविषयमाह।

Anvay:

हे मघवानेन्द्राब्रह्मणस्पती ये युवोरापः सत्यं विश्वं प्रमिनन्ति वां व्रतं प्रमिनन्ति तान् विनाश्य वाजिना युजेव नो हविरन्नं चनाच्छेज्जिगातम् ॥१२॥

Word-Meaning: - (विश्वम्) सर्वम् (सत्यम्) अविनाशिनम् (मघवाना) पूजितधनवन्तौ (युवोः) युवयोः (इत्) (आपः) प्राणान् शसो जस् (चन) (प्र) (मिनन्ति) हिंसन्ति (व्रतम्) (वाम्) युवयोः (अच्छा) (इन्द्राब्रह्मणस्पती) राजधनपालकौ (हविः) अत्तुमर्हम् (नः) अस्माकम् (अन्नम्) अत्तव्यम् (युजेव) यथासंयुक्तौ (वाजिना) वेगवन्तावश्वौ (जिगातम्) प्राप्नुतम्। जिगातीति गतिकर्मा निघं० २। १४ ॥१२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यथा सुशिक्षितौ युक्तावश्वौ रथं वोढा शत्रून् पराजयतस्तथा राज्यैश्वर्य्यप्राप्तौ प्रजाराजजनौ सत्याचारविरोधिनो निवार्य्य प्राणाभयदानं युवां दद्यातम् ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे प्रशिक्षित घोडे रथाला जुंपल्यावर शत्रूंना पराजित करतात तसे राजैश्वर्य प्राप्त झालेले राजे व प्रजाजन यांनी सत्याचरणाच्या विरोधकाचे निवारण करून सर्वांना प्राणरूपी अभयदान द्यावे. ॥ १२ ॥