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बृह॑स्पते॒ अति॒ यद॒र्यो अर्हा॑द्द्यु॒मद्वि॒भाति॒ क्रतु॑म॒ज्जने॑षु। यद्दी॒दय॒च्छव॑स ऋतप्रजात॒ तद॒स्मासु॒ द्रवि॑णं धेहि चि॒त्रम्॥

English Transliteration

bṛhaspate ati yad aryo arhād dyumad vibhāti kratumaj janeṣu | yad dīdayac chavasa ṛtaprajāta tad asmāsu draviṇaṁ dhehi citram ||

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Pad Path

बृह॑स्पते। अति॑। यत्। अ॒र्यः। अर्हा॑त्। द्यु॒ऽमत्। वि॒ऽभाति॑। क्रतु॑ऽमत्। जने॑षु। यत्। दी॒दय॑त्। शव॑सा। ऋ॒त॒ऽप्र॒जा॒त॒। तत्। अ॒स्मासु॑। द्रवि॑णम्। धे॒हि॒। चि॒त्रम्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:23» Mantra:15 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:31» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वान् विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (तप्रजात) सत्याचरण में प्रकट (बृहस्पते) बड़ों के पालनेवाले विद्वान् (यत्) जो (अर्यः) ईश्वर (जनेषु) मनुष्यों में (अर्हात्) योग्य व्यवहार से (द्युमत्) प्रकाशवान् (क्रतुमत्) प्रशंसित प्रज्ञायुक्त वा (शवसा) बल से (यत्) जो (दीदयत्) प्रकाशकर्त्ता (अति,विभाति) अतीव प्रकाशित होता है (तत्) उस (चित्रम्) अद्भुत (द्रविणम्) धन को (अस्मासु) हम लोगों में (धेहि) स्थापन कीजिये ॥१५॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि जो-जो ईश्वर ने वेदद्वारा सत्य का प्रकाश किया, वह-वह सब प्रकाश करें और जो-जो स्वार्थ चाहें, वह-वह सबके लिये चाहें ॥१५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

हे तप्रजात बृहस्पते विद्वन् यदर्य ईश्वरो जनेष्वर्हाद् द्युमत्क्रतुमच्छवसा यद्दीदयदतिविभाति तच्चित्रं द्रविणमस्मासु धेहि ॥१५॥

Word-Meaning: - (बृहस्पते) बृहतां पते (अति) (यत्) (अर्य्यः) ईश्वरः (अर्हात्) योग्यात् (द्युमत्) प्रकाशवत् (विभाति) प्रकाशते (क्रतुमत्) प्रशंसितप्रज्ञायुक्तम् (जनेषु) (यत्) (दीदयत्) प्रकाशकम् (शवसा) बलेन (तप्रजात) ते सत्याचरणे प्रकट (तत्) (अस्मासु) (द्रविणम्) धनम् (धेहि) (चित्रम्) अद्भुतम् ॥१५॥
Connotation: - मनुष्यैर्यद्यदीश्वरेण वेदद्वारा सत्यं प्रकाश्यते तत्तत्सर्वं प्रकाशनीयं यद्यत्स्वार्थमेषितव्यं तत्तदन्येभ्योऽप्येष्टव्यम् ॥१५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ईश्वराने वेदाद्वारे जे सत्य ज्ञान प्रकट केले आहे ते ज्ञान आपण इतरांना द्यावे. जे स्वतःसाठी इछिले असेल तशीच इच्छा इतरांसाठी बाळगावी. ॥ १५ ॥