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अ॒भि॒भुवे॑ऽभिभ॒ङ्गाय॑ वन्व॒तेऽषा॑ळ्हाय॒ सह॑मानाय वे॒धसे॑। तु॒वि॒ग्रये॒ वह्न॑ये दु॒ष्टरी॑तवे सत्रा॒साहे॒ नम॒ इन्द्रा॑य वोचत॥

English Transliteration

abhibhuve bhibhaṅgāya vanvate ṣāḻhāya sahamānāya vedhase | tuvigraye vahnaye duṣṭarītave satrāsāhe nama indrāya vocata ||

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Pad Path

अ॒भि॒ऽभुवे॑। अ॒भि॒ऽभ॒ङ्गाय॑। व॒न्व॒ते। अषा॑ळ्हाय। सह॑मानाय। वे॒धसे॑। तु॒वि॒ऽग्रये॑। वह्न॑ये। दु॒स्तरी॑तवे। स॒त्रा॒ऽसहे॑। नमः॑। इन्द्रा॑य। वो॒च॒त॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:21» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:27» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो तुम (अभिभुवे) शत्रुओं का तिरस्कार करने (अभिभङ्गाय) दुष्टों (दुःखों) का सब ओर से मर्दन करने (अषाह्वाय) शत्रुओं से न सहने (सहमानाय) शत्रुओं का सहनशील रखने (वन्वते) सत्य और असत्य का विभाग करने (तुविग्रये) वृद्धि के निमित्तों का उपदेश देने (वह्नये) राज्य भार को चलाने और जो (दुष्टरीतवे) शत्रुओं से दुःख से तरनेवाला उसके लिये (सत्रासाहे) और सत्य से सहनेवाले (इन्द्राय) सर्वशुभलक्षणयुक्त (वेधसे) उत्तम ज्ञाता के लिये (नमः) नमस्कार (वोचत) कहो ॥२॥
Connotation: - जो अन्याय से अलग दुष्टाचारियों को ताड़ना देते हैं, श्रेष्ठाचार की सन्धि से सत्पुरुषों का सत्कार करते हैं, वे विवेकी हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यूयमभिभुवेऽभिभङ्गायाऽषाह्वाय सहमानाय वन्वते तुविग्रये वह्नये दुष्टरीतवे सत्रासाह इन्द्राय वेधसे नमो वोचत ॥२॥

Word-Meaning: - (अभिभुवे) शत्रूणां तिरस्कर्त्रे (अभिभङ्गाय) दुष्टानामभितो मर्दकाय (वन्वते) सत्याऽसत्ययोर्विभाजकाय (अषाह्वाय) शत्रुभिरसह्यमानाय (सहमानाय) शत्रून् सोढुं शीलाय (वेधसे) प्रज्ञाय (तुविग्रये) वृद्धिनिमित्तोपदेशकाय (वह्नये) राज्यभारं वोढ्रे (दुष्टरीतवे) शत्रुभिर्दुःखेन तरितुमर्हाय (सत्रासाहे) यः सत्रा सत्येन सहते तस्मै (नमः) नतिम् (इन्द्राय) सर्वशुभलक्षणान्विताय (वोचत) वदत। अत्राडभावः ॥२॥
Connotation: - येऽन्यायात्पृथग्दुष्टाचाराँस्ताडयन्ति श्रेष्ठाचारसन्ध्या सत्पुरुषान् सत्कुर्वन्ति ते विवेकिनः सन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे अन्यायाविरुद्ध दुष्टांची ताडना करतात, श्रेष्ठांच्या संगतीने सत्पुरुषांचा सत्कार करतात, ते विवेकी असतात. ॥ २ ॥