Go To Mantra

नू॒नं सा ते॒ प्रति॒ वरं॑ जरि॒त्रे दु॑ही॒यदि॑न्द्र॒ दक्षि॑णा म॒घोनी॑। शिक्षा॑ स्तो॒तृभ्यो॒ माति॑ ध॒ग्भगो॑ नो बृ॒हद्व॑देम वि॒दथे॑ सु॒वीराः॑॥

English Transliteration

nūnaṁ sā te prati varaṁ jaritre duhīyad indra dakṣiṇā maghonī | śikṣā stotṛbhyo māti dhag bhago no bṛhad vadema vidathe suvīrāḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

नू॒नम्। सा। ते॒। प्रति॑। वर॑म्। जरि॒त्रे। दु॒ही॒यत्। इ॒न्द्र॒। दक्षि॑णा। म॒घोनी॑। शिक्ष॑। स्तो॒तृऽभ्यः॑। मा। अति॑। ध॒क्। भगः॑। नः॒। बृ॒हत्। व॒दे॒म॒। वि॒दथे॑। सु॒ऽवीराः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:18» Mantra:9 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:22» Mantra:4 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:9


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब ईश्वर और उपदेशकों के गुणों को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) जगदीश्वर वा सत्योपदेशक ! (ते) आपकी (सा) वह धारणा (जरित्रे) स्तुति प्रशंसा करनेवाले के लिये और (दक्षिणा) विद्या सुशिक्षा रूपी दक्षिणा (मघोनी) जो कि बहुत ऐश्वर्ययुक्त है वह (स्तोतृभ्यः) अध्यापकों के लिये (प्रति,दुहीयत्) प्रत्येक विषय को परिपूर्ण करती है। आप हम लोगों को (नूनम्) निश्चय से (शिक्ष) शिक्षा देओ नः हम लोगों के लिये (भगः) ऐश्वर्य को (माति,धक्) मत नष्ट करो जिससे (सुवीराः) श्रेष्ठ वीरोंवाले हम लोग (विदथे) विद्याप्रचार में (बृहत्) बहुत कुछ (वदेम) कहें ॥९॥
Connotation: - जो ईश्वर और आप्त विद्वानों की शिक्षा मनुष्यों को प्राप्त होती है, वह शोकरूपी समुद्र से अलग करती है और बहुत ऐश्वर्य का भी अभिमान नहीं कराती है ॥९॥ यहाँ यान, पदार्थ, ईश्वर, विद्वान् वा उपदेशकों के बोध का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की पिछले सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति जाननी चाहिये ॥ यह अठारहवाँ सूक्त और बाईसवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेश्वरोपदेशकगुणानाह।

Anvay:

हे इन्द्र जगदीश्वर सत्योपदेशक वा ते तव सा जरित्रे वरं दक्षिणा मघोनी स्तोतृभ्यः प्रतिदुहीयत्। त्वमस्मान्नूनं शिक्ष नो भगो मातिधग्यतः सुवीरा वयं विदथे बृहद्वदेम ॥९॥

Word-Meaning: - (नूनम्) (सा) धारणा (ते) तव (प्रति) (वरम्) (जरित्रे) (दुहीयत्) (इन्द्र) (दक्षिणा) (मघोनी) (शिक्षा) (स्तोतृभ्यः) अध्यापकेभ्यः (मा) (अति) धक् (भगः) ऐश्वर्यम् (नः) अस्मान् (बृहत्) (वदेम) (विदथे) विद्याप्रचारे (सुवीराः) ॥९॥
Connotation: - या भगवत आप्तानां विदुषां शिक्षा मनुष्यान् प्राप्नोति सा शोकसागरात् पृथक् करोति महदैश्वर्यमपि नाभिमानयतीति ॥९॥ अत्र यानपदार्थेश्वरविद्वदुपदेशकबोधवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इत्यष्टादशं सूक्तं द्वाविंशो वर्गश्च समाप्तः ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - ईश्वर व आप्त विद्वानांकडून जे शिक्षण माणसांना प्राप्त होते ते माणसांना शोकरूपी समुद्रापासून पृथक करते व ऐश्वर्याचा अभिमानीही बनवीत नाही. ॥ ९ ॥