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स भू॑तु॒ यो ह॑ प्रथ॒माय॒ धाय॑स॒ ओजो॒ मिमा॑नो महि॒मान॒माति॑रत्। शूरो॒ यो यु॒त्सु त॒न्वं॑ परि॒व्यत॑ शी॒र्षणि॒ द्यां म॑हि॒ना प्रत्य॑मुञ्चत॥

English Transliteration

sa bhūtu yo ha prathamāya dhāyasa ojo mimāno mahimānam ātirat | śūro yo yutsu tanvam parivyata śīrṣaṇi dyām mahinā praty amuñcata ||

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Pad Path

सः। भू॒तु॒। यः। ह॒। प्र॒थ॒माय॑। धाय॑से। ओजः॑। मिमा॑नः। म॒हि॒मान॑म्। आ। अति॑रत्। शूरः॑। यः। यु॒त्ऽसु। त॒न्व॑म्। प॒रि॒ऽव्यत॑। शी॒र्षणि॑। द्याम्। म॒हि॒ना। प्रति॑। अ॒मु॒ञ्च॒त॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:17» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब ईश्वर विषय को अगले मन्त्र में कहा गया है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो (यः) जो (ह) ही (प्रथमाय) प्रथम (धायसे) धारण के लिये (ओजः) बलको (मिमानः) निर्माण करता बनाता हुआ (महिमानम्) अपने प्रभाव को (आतिरत्) सम्यक् पार पहुँचाता (सः) वह जगदीश्वर हम लोगों के लिये सुख देनेवाला (भूतु) हो (यः) जो (शूरः) निर्भय मनुष्य (युत्सु) संग्रामों में (तन्वम्) शरीर को छोड़ता है उसको (परिव्यत) सब ओर से व्याप्त होओ अर्थात् प्राप्त होओ जो जगदीश्वर (महिना) अपने महत्त्व से (शीर्षणि) शिर पर (द्याम्) प्रकाश को (प्रति,अमुञ्चत्) छोड़ता है, उसको सब ओर से व्याप्त होओ अर्थात् उसमें रमो ॥२॥
Connotation: - जो जगदीश्वर धारण करनेवालों का धारणकर्त्ता बलवानों का बलवान् बड़ों का बड़ा और पूज्यों का पूज्य है, उसकी सब उपासना करें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेश्वरविषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यो ह प्रथमाय धायस ओजो मिमानो महिमानमातिरत्सोऽस्मभ्यं सुखप्रदो भूतु यश्शूरो युत्सु तन्वं प्रक्षिपति तं परिव्यत यो जगदीश्वरो महिना शीर्षणि द्यां प्रत्यमुञ्चत तं परिव्यत ॥२॥

Word-Meaning: - (सः) जगदीश्वरः (भूतु) भवतु। अत्र बहुलं छन्दसीति शपो लुक्। भूसुवोस्तिङीति गुणाभावः (यः) (ह) किल (प्रथमाय) आदिमाय (धायसे) धारणाय (ओजः) बलम् (मिमानः) निर्माता सन् (महिमानम्) स्वप्रभावम् (आ) (अतिरत्) सन्तारयति (शूरः) निर्भयो मनुष्यः (यः) (युत्सु) सङ्ग्रामेषु (तन्वम्) शरीरम् (परिव्यत) सर्वतो व्याप्नुत (शीर्षणि) शिरसि (द्याम्) प्रकाशम् (महिना) महिम्ना महत्त्वेन (प्रति) (अमुञ्चत्) मुञ्चति ॥२॥
Connotation: - यो जगदीश्वरो धर्तॄणां धर्त्ता बलिनां बली महतां महान् पूज्यानां पूज्योऽस्ति तं सर्वम् उपासीरन् ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो जगदीश्वर धारणकर्त्यात धारणकर्ता, बलवानांत बलवान, मोठ्यांत मोठा व पूज्यांत पूज्य आहे, त्याचीच उपासना करा. ॥ २ ॥