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यस्मा॒दिन्द्रा॑द्बृह॒तः किं च॒नेमृ॒ते विश्वा॑न्यस्मि॒न्त्संभृ॒ताधि॑ वी॒र्या॑। ज॒ठरे॒ सोमं॑ त॒न्वी॒३॒॑ सहो॒ महो॒ हस्ते॒ वज्रं॒ भर॑ति शी॒र्षणि॒ क्रतु॑म्॥

English Transliteration

yasmād indrād bṛhataḥ kiṁ canem ṛte viśvāny asmin sambhṛtādhi vīryā | jaṭhare somaṁ tanvī saho maho haste vajram bharati śīrṣaṇi kratum ||

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Pad Path

यस्मा॑त्। इन्द्रा॑त्। बृ॒ह॒तः। किम्। च॒न। ई॒म्। ऋ॒ते। विश्वा॑नि। अ॒स्मि॒न्। सम्ऽभृ॑ता। अधि॑। वी॒र्या॑। ज॒ठरे॑। सोम॑म्। त॒न्वि॑। सहः॑। महः॑। हस्ते॑। वज्र॑म्। भर॑ति। शी॒र्षणि॑। क्रतु॑म्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:16» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विद्युत् के विषय को इस मन्त्र में कहा गया है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो (यस्मात्) जिस (बृहतः) बड़े (इन्द्रात्) विद्युत् अग्नि से (ते) बिना (किञ्चन) कुछ भी नहीं है (अस्मिन्) इसके (जठरे) उदर में (विश्वानि) समस्त वे पदार्थ (वीर्य्या) जो वीर शत्रुओं को फेंकनेवाले विद्वानों में उपयोगी हैं (सम्भृता) अच्छे प्रकार धरे हुए हैं जो (तन्वि, ईम्) अपने शरीर में सब ओर से (सोमम्) ओषधि अन्न को (सहः) और बल को तथा (हस्ते) हाथ में (महः) बड़े (वज्रम्) शस्त्र को (शीर्षणि) और शिर के बीच (क्रतुम्) उत्तम बुद्धि को (अभि भरति) अधिकता से धारण करता है, वह विद्युत् अग्नि सबको यथावत् अच्छे प्रकार काम में लाने योग्य है ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जितना स्थूल वस्तु मात्र संसार में है, उतना समस्त बिजली के बिना नहीं है, उसको प्रयत्न से तुम लोग जानो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यस्माद्बृहत इन्द्रादृते किञ्चन नास्त्यस्मिञ्जठरे विश्वानि वीर्य्या संभृता यस्तन्वीं सोमं सहो हस्ते महो वज्रं शीर्षणि क्रतुं चाभिभरति स सर्वैर्यथावत्संप्रयोज्यः ॥२॥

Word-Meaning: - (यस्मात्) (इन्द्रात्) विद्युतः (बृहतः) महतः (किम्) (चन) (ईम्) सर्वतः (ते) विना (विश्वानि) सर्वाणि (अस्मिन्) (संभृता) सम्यग्धृतानि (अधि) (वीर्या) वीरेषु शत्रुप्रक्षेपकेषु विद्वत्सु साधूनि (जठरे) उदरे (सोमम्) ओषध्यन्नम् (तन्वि) शरीरे (सहः) बलम् (महः) (हस्ते) करे (वज्रम्) शस्त्रम् (भरति) दधाति (शीर्षणि) शिरसि (क्रतुम्) प्रज्ञाम् ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या यावत्स्थूलं वस्तु जगत्यस्ति तावत्सर्वं विद्युता विना न प्रयत्नेन यूयं विजानीत ॥॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जितक्या स्थूल वस्तू या जगात आहेत तितक्या त्या सगळ्या विद्युतशिवाय नाहीत, त्याला तुम्ही प्रयत्नाने जाणा. ॥ २ ॥