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स प्र॑वो॒ळ्हॄन्प॑रि॒गत्या॑ द॒भीते॒र्विश्व॑मधा॒गायु॑धमि॒द्धे अ॒ग्नौ। सं गोभि॒रश्वै॑रसृज॒द्रथे॑भिः॒ सोम॑स्य॒ ता मद॒ इन्द्र॑श्चकार॥

English Transliteration

sa pravoḻhṝn parigatyā dabhīter viśvam adhāg āyudham iddhe agnau | saṁ gobhir aśvair asṛjad rathebhiḥ somasya tā mada indraś cakāra ||

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Pad Path

सः। प्र॒ऽवो॒ळ्हॄन्। प॒रि॒ऽगत्य॑। द॒भीतेः॑। विश्व॑म्। अ॒धा॒क्। आयु॑धम्। इ॒द्धे। अ॒ग्नौ। सम्। गोभिः॑। अश्वैः॑। अ॒सृ॒ज॒त्। रथे॑भिः। सोम॑स्य। ता। मदे॑। इन्द्रः॑। च॒का॒र॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:15» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:15» Mantra:4 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (इन्द्रः) जगदीश्वर (दभीतेः) हिंसा से (परिगत्य) सब ओर से प्राप्त होकर (विश्वम्) समस्त जगत् को (प्रवोढॄन्) उसको प्रकृष्टता से पहुँचानेवालों को (आयुधम्) शस्त्र के समान (समिद्धे) प्रदीप्त (अग्नौ) अग्नि में (अधाक्) भस्म करता है वा (गोभिः) गौओं (अश्वैः) तुरङ्गों और (रथेभिः) भूमि में चलवानेवाले रथादि यानों से (सोमस्य) उत्पन्न हुए जगत् के (मदे) हर्ष के निमित्त (ता) ऐश्वर्य्यसम्बन्धी उक्त कामों को (चकार) करता है (सः) वह प्रलय का करनेवाला ईश्वर सबको सब ओर से ध्यान करने योग्य है ॥४॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे संप्राप्त अग्नि सूखे और गीले पदार्थ को भस्म करता है, वैसे अच्छे प्रकार प्राप्त हुए प्रलय समय में जगदीश्वर सबका प्रलय करता है ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या य इन्द्रो जगदीश्वरो दभीतेः परिगत्य विश्वं प्रवोढॄँश्चायुधमिव समिद्धेऽग्नावधाक् गोभिरश्वै रथेभिः सोमस्य मदे ता चकार स प्रलयकृदीश्वरोऽस्तीति ध्यातव्यः ॥४॥

Word-Meaning: - (सः) (प्रवोढॄन्) प्रकृष्टतया वहतः (परिगत्य) परितः सर्वतो गत्वा। अत्रान्येषामपीति दीर्घः (दभीतेः) हिंसनात् (विश्वम्) सर्वं जगत् (अधाक्) दहति (आयुधम्) आयुधमिव (इद्धे) प्रदीप्ते (अग्नौ) (सम्) (गोभिः) धेनुभिः (अश्वैः) तुरङ्गैः (असृजत्) सृजति (रथेभिः) भूरथादियानैः (सोमस्य) उत्पन्नस्य जगतः (ता) तानि (मदे) हर्षे (इन्द्रः) सर्वपदार्थविच्छेत्ता (चकार) करोति ॥४॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा संप्राप्तोऽग्निः शुष्कमार्द्रञ्च भस्मी करोति तथा संप्राप्ते प्रलयसमये जगदीश्वरो सर्वं प्रविलापयति ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसा अग्नी सुकलेल्या व ओल्या पदार्थांना भस्म करतो, तसे प्रलयाच्या वेळी जगदीश्वर सर्वांचा प्रलय करतो. ॥ ४ ॥