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अध्व॑र्यवो॒ यो अ॒पो व॑व्रि॒वांसं॑ वृ॒त्रं ज॒घाना॒शन्ये॑व वृ॒क्षम्। तस्मा॑ ए॒तं भ॑रत तद्व॒शायँ॑ ए॒ष इन्द्रो॑ अर्हति पी॒तिम॑स्य॥

English Transliteration

adhvaryavo yo apo vavrivāṁsaṁ vṛtraṁ jaghānāśanyeva vṛkṣam | tasmā etam bharata tadvaśāyam̐ eṣa indro arhati pītim asya ||

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Pad Path

अध्व॑र्यवः। यः। अ॒पः। व॒व्रि॒वांस॑म्। वृ॒त्रम्। ज॒घान॑। अ॒शन्या॑ऽइव। वृ॒क्षम्। तस्मै॑। ए॒तम्। भ॒र॒त॒। त॒त्ऽव॒शाय॑। ए॒षः। इन्द्रः॑। अ॒र्ह॒ति॒। पी॒तिम्। अ॒स्य॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:14» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:13» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब बिजुली के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (अध्वर्यवः) अपने को अहिंसा की इच्छा करनेवालो ! (यः) जो सूर्य (वव्रिवांसम्) आवरण करनेवाले (वृत्रम्) मेघ को (अशन्येव) बिजुली के समान (वृक्षम्) वृक्ष को (जघान) मारता है अर्थात् दाहशक्ति से भस्म कर देता है और (आपः) जलों को वर्षाता तथा जो (एषः) यह (इन्द्रः) ऐश्वर्यवान् जन (अस्य) सोमलतादि रस के (पीतिम्) पीने को (अर्हति) योग्य होता है इस कारण (तद्वशाय) उन उन पदार्थों की कामना करनेवाले के लिये (एतम्) उक्त पदार्थ द्वय को धारण करो अर्थात् उनके गुणों को अपने मन से निश्चित करो ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं । जो सूर्य के समान विद्या और मेघ के समान सुख की उत्पत्ति करते हैं और सदा पथ्योषधि सेवी हुए ओषधियों का सेवन करते हैं, वे परोपकार करने को भी योग्य होते हैं ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्युद्विषयमाह।

Anvay:

हे अध्वर्यवो यस्सूर्यो वव्रिवांसं वृत्रमशन्येव वृक्षं जघानापो वर्षति य एष इन्द्रोऽस्य पीतिमर्हति तस्मा तद्वशायैतं भरत ॥२॥

Word-Meaning: - (अध्वर्यवः) आत्मनोऽध्वरमहिंसामिच्छन्तः (यः) (अपः) (जलानि) (वव्रिवांसम्) आवरकम् (वृत्रम्) मेघम् (जघान) हन्ति (अशन्येव) विद्युता (वृक्षम्) (तस्मै) (एतम्) द्वयम् (भरत) (तद्वशाय) तत्तत्कामयमानाय (एषः) (इन्द्रः) ऐश्वर्यवान् (अर्हति) योग्यो न भवति (पीतिम्) पानम् (अस्य) सोमलतादिरसस्य ॥२॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। ये सूर्यवद्विद्यां मेघवत्सुखं जनयन्ति सदा पथ्यसेविनस्सन्त ओषधीः सेवन्ते ते परोपकारमपि कर्त्तुमर्हन्ति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे सूर्याप्रमाणे विद्या व मेघाप्रमाणे सुखाची उत्पत्ती करतात व सदैव पथ्यकारक औषधींचे सेवन करतात, ते परोपकारीही असतात. ॥ २ ॥