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यस्याश्वा॑सः प्र॒दिशि॒ यस्य॒ गावो॒ यस्य॒ ग्रामा॒ यस्य॒ विश्वे॒ रथा॑सः। यः सूर्यं॒ य उ॒षसं॑ ज॒जान॒ यो अ॒पां ने॒ता स ज॑नास॒ इन्द्रः॑॥

English Transliteration

yasyāśvāsaḥ pradiśi yasya gāvo yasya grāmā yasya viśve rathāsaḥ | yaḥ sūryaṁ ya uṣasaṁ jajāna yo apāṁ netā sa janāsa indraḥ ||

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Pad Path

यस्य॑। अश्वा॑सः। प्र॒ऽदिशि॑। यस्य॑। गावः॑। यस्य॑। ग्रामाः॑। यस्य॑। विश्वे॑। रथा॑सः। यः। सूर्य॑म्। यः। उ॒षस॑म्। ज॒जान॑। यः। अ॒पाम्। ने॒ता। सः। ज॒ना॒सः॒। इन्द्रः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:12» Mantra:7 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:8» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब बिजुलीरूप अग्नि के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (जनासः) विद्वद्वर मनुष्यो ! तुमको (प्रदिशि) प्रति दिशा के समीप (यस्य) जिसके (विश्वे) समस्त (अश्वासः) व्याप्तिशील वेगादि गुणयुक्त (यस्य) जिसके समस्त (गावः) किरणें (यस्य) जिसके समस्त (ग्रामाः) मनुष्यों के निवास (यस्य) जिसके समस्त (रथासः) विहार करानेवाले रथ (यः) जो कारण बिजुली रूप अग्नि (सूर्यम्) सूर्यमण्डल और (यः) जो (उषसम्) प्रभातकाल को (जजान) प्रकट करता वा (यः) जो (अपाम्) जलों की (नेता) प्राप्ति करानेहारा है (सः) वह (इन्द्रः) पदार्थों का छिन्न-भिन्न करनेवाला बिजुली रूप अग्नि है, यह जानना चाहिये ॥७॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! यदि आप लोग वेगादि अनेक गुणयुक्त सर्वमूर्त्तिमान् पदार्थों के आधाररूप शीघ्रगामी विमान आदि यान और वर्षा निमित्त बिजुलीरूप आग्नि को जानें तब तो कौन-कौन उत्तम कार्य सिद्ध न कर सकें ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्युद्रूपाऽग्निविषयमाह।

Anvay:

हे जनासो विद्वद्वरा युष्माभिः प्रदिशि यस्य विश्वेऽश्वासो यस्य विश्वे गावो यस्य विश्वे ग्रामा यस्य विश्वे रथासः यस्सूर्यं य उषसं च जजान योऽपां नेताऽस्ति स इन्द्रो वेदितव्यः ॥७॥

Word-Meaning: - (यस्य) विद्युदाख्यस्य (अश्वासः) व्याप्तिशीला वेगादयो गुणाः (प्रदिशि) उपदिशि (यस्य) (गावः) किरणाः (यस्य) (ग्रामाः) मनुष्यनिवासाः (यस्य) (विश्वे) सर्वे (रथासः) रमणसाधनाः (यः) कारणाख्यो विद्युदग्निः (सूर्यम्) सवितृमण्डलम् (यः) (उषसम्) प्रत्यूषकालम् (जजान) जनयति (यः) (अपाम्) जलानाम् (नेता) प्रापकः (सः) (जनासः) (इन्द्रः) ॥७॥
Connotation: - हे मनुष्या यदि भवन्तो वेगाद्यनेगुणयुक्तं सर्वमूर्त्तद्रव्याधारं शीघ्रगामी विमानादियानवर्षानिमित्तं विद्युदग्निं जानीयुस्तर्हि किं किमुत्तमं कार्य्यं साधितुं न शक्नुयुः ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जर तुम्ही वेग इत्यादी अनेक गुणयुक्त सर्व मूर्तिमान पदार्थांचे आधाररूप, शीघ्रगामी विमान इत्यादी यान व वृष्टीनिमित्त विद्युतरूपी अग्नीला जाणाल तेव्हा कोणते उत्तम कार्य सिद्ध करू शकणार नाही? ॥ ७ ॥