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यः पृ॑थि॒वीं व्यथ॑माना॒मदृं॑ह॒द्यः पर्व॑ता॒न्प्रकु॑पिताँ॒ अर॑म्णात्। यो अ॒न्तरि॑क्षं विम॒मे वरी॑यो॒ यो द्यामस्त॑भ्ना॒त्स ज॑नास॒ इन्द्रः॑॥

English Transliteration

yaḥ pṛthivīṁ vyathamānām adṛṁhad yaḥ parvatān prakupitām̐ aramṇāt | yo antarikṣaṁ vimame varīyo yo dyām astabhnāt sa janāsa indraḥ ||

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Pad Path

यः। पृ॒थि॒वीम्। व्यथ॑मानाम्। अदृं॑हत्। यः। पर्व॑तान्। प्रऽकु॑पितान्। अर॑म्णात्। यः। अ॒न्तरि॑क्षम्। वि॒ऽम॒मे। वरी॑यः। यः। द्याम्। अस्त॑भ्नात्। सः। ज॒ना॒सः॒। इन्द्रः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:12» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:7» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (जनासः) विद्वानो ! (यः) जो (व्यथमानाम्) चलती हुई (पृथिवीम्) पृथिवी को (अदृंहत्) धारण करता है (यः) जो (प्रकुपितान्) अत्यन्त कोपयुक्त शत्रुओं के समान वर्त्तमान (पर्वतान्) मेघों को (अरम्णात्) छिन्न-भिन्न करता (यः) जो (वरीयः) अत्यन्त बहुत विस्तारवाले (अन्तरिक्षम्) पृथिव्यादि दो-दो लोकों के बीच भाग का (विममे) विशेषता से मान करता है (यः) जो (द्याम्) प्रकाश को (अस्तभ्नात्) धारण करता है (सः) वह (इन्द्रः) सब पदार्थों को अपने प्रताप से छिन्न-भिन्न करनेवाला सूर्य जानने योग्य है ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो ईश्वर बिजुली वा सूर्य को न रचे तो चलते हुए बड़े-बड़े भूगोलों को कौन धारण करे, कौन मेघ को वर्षावे और कौन अन्तरिक्ष को अपने प्रकाश से पूरित करे ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे जनासो यो व्यथमानां पृथिवीमदृंहद्यः प्रकुपितान् पर्वतानरम्णाद्यो वरीयोऽन्तरिक्षं विममे यो द्यामस्तभ्नात्स इन्द्रो वेदितव्यः ॥२॥

Word-Meaning: - (यः) (पृथिवीम्) विस्तीर्णां भूमिम् (व्यथमानाम्) चलन्तीम् (अदृंहत्) धरति (यः) (पर्वतान्) मेघान् (प्रकुपितान्) प्रकोपयुक्तान् शत्रूनिव वर्त्तमानान् (अरम्णात्) वधति। रम्णातीति वधकर्मा० निघं०२। १९॥ (यः) (अन्तरिक्षम्) द्वयोर्लोकयोर्मध्यस्थमाकाशम् (विममे) विशेषेण मिमीते (वरीयः) अतिशयेन बहु (यः) (द्याम्) प्रकाशम् (अस्तभ्नात्) स्तभ्नाति धरति (सः) (जनासः) (इन्द्रः) ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या यदीश्वरो विद्युतं सूर्यं वा न रचयेत्तर्हि चलतो महतो भूगोलान् को धरेत् कश्च मेघं वर्षयेत्कोऽन्तरिक्षं स्वप्रकाशेन पूरयेच्च ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! ईश्वराने विद्युत किंवा सूर्य निर्माण केला नसता तर या विशाल गतिमान भूगोलाला कुणी धारण केले असते? मेघाकडून वृष्टी कुणी करविली असती व कुणी अंतरिक्षाला आपल्या प्रकाशाने उजळून टाकले असते? ॥ २ ॥