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द्यावा॑ चिदस्मै पृथि॒वी न॑मेते॒ शुष्मा॑च्चिदस्य॒ पर्व॑ता भयन्ते। यः सो॑म॒पा नि॑चि॒तो वज्र॑बाहु॒र्यो वज्र॑हस्तः॒ स ज॑नास॒ इन्द्रः॑॥

English Transliteration

dyāvā cid asmai pṛthivī namete śuṣmāc cid asya parvatā bhayante | yaḥ somapā nicito vajrabāhur yo vajrahastaḥ sa janāsa indraḥ ||

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Pad Path

द्यावा॑। चि॒त्। अ॒स्मै॒। पृ॒थि॒वी इति॑। न॒मे॒ते॒ इति॑। शुष्मा॑त्। चि॒त्। अ॒स्य॒। पर्व॑ताः। भ॒य॒न्ते॒। यः। सो॒म॒ऽपाः। नि॒ऽचि॒तः। वज्र॑ऽबाहुः। यः। वज्र॑ऽहस्तः। सः। ज॒ना॒सः॒। इन्द्रः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:12» Mantra:13 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:9» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:13


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर सूर्य विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (जनासः) मनुष्यो ! तुमको (अस्मै) इस सूर्यमण्डल के लिये (द्यावापृथिवी) आकाश और भूमि के समान बृहत् पदार्थ (चित्) भी (नमेते) अति सामर्थ्ययुक्त शब्दायमान होते हैं (अस्य) इस सूर्यमण्डल के (शुष्मात्) बल से (चित्) ही (पर्वताः) मेघ (भयन्ते) भयभीत होते हैं (यः) जो (सोमपाः) रस को पीता (निचितः) निरन्तर अनेक पदार्थों से इकट्ठा किया गया (वज्रबाहुः) और (यः) जो बाहुओं के तुल्य किरण बलयुक्त तथा (वज्रहस्तः) जिसकी हाथों के समान किरणें हैं वह (इन्द्रः) सूर्य्यलोक जानने योग्य है ॥१३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जिसके आकर्षण से प्रकाश और क्षिति नमे हुए वर्त्तमान हैं, मेघ भ्रमि रहे हैं, हाथों के समान जो रस को ऊर्ध्व पहुँचाता है, उसका यथावत् अच्छे प्रकार प्रयोग करो ॥१३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः सूर्यविषयमाह।

Anvay:

हे जनासो युष्माभिरस्मै द्यावापृथिवी चिन्नमेते अस्य शुष्माच्चित्पर्वता भयन्ते यः सोमपा निचितो वज्रबाहुर्यो वज्रहस्तोऽस्ति स इन्द्रो वेदितव्यः ॥१३॥

Word-Meaning: - (द्यावा) द्यौः (चित्) इव (अस्मै) सूर्याय (पृथिवी) भूमिः (नमेते) प्रभूतं शब्दयेते (शुष्मात्) बलात् (चित्) अपि (अस्य) सूर्य्यस्य (पर्वताः) मेघाः (भयन्ते) बिभ्यति। अत्र व्यत्ययेनात्मनेपदम्। (यः) (सोमपाः) यः सोमरसं पिबति सः (निचितः) निश्चितश्चितः (वज्रबाहुः) बाहुवत् किरणबलः (यः) (वज्रहस्तः) वज्राः किरणा हस्ता यस्य (सः) (जनासः) (इन्द्रः) ॥१३॥
Connotation: - हे मनुष्या यस्याकर्षणेन प्रकाशक्षिती नम्रे इव वर्त्तेते मेघा भ्रमन्ति हस्ताभ्यामिव यो रसमूर्ध्वन्नयति तं यथावत्संप्रयुञ्जत ॥१३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! ज्याच्या आकर्षणाने प्रकाश व क्षिती नमलेले आहेत, मेघ भ्रमण करीत आहेत, हात जसे कार्य करतात तसे जो रस वर पोचवितो त्या (सूर्याचा) चा यथायोग्य उपयोग करून घ्या. ॥ १३ ॥