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उ॒क्थेष्विन्नु शू॑र॒ येषु॑ चा॒कन्स्तोमे॑ष्विन्द्र रु॒द्रिये॑षु च। तुभ्येदे॒ता यासु॑ मन्दसा॒नः प्र वा॒यवे॑ सिस्रते॒ न शु॒भ्राः॥

English Transliteration

uktheṣv in nu śūra yeṣu cākan stomeṣv indra rudriyeṣu ca | tubhyed etā yāsu mandasānaḥ pra vāyave sisrate na śubhrāḥ ||

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Pad Path

उ॒क्थेषु॑। इत्। नु। शू॒र॒। येषु॑। चा॒कन्। स्तोमे॑षु। इ॒न्द्र॒। रु॒द्रिये॑षु। च॒। तुभ्य॑। इत्। ए॒ताः। यासु॑। म॒न्द॒सा॒नः। प्र। वा॒यवे॑। सि॒स्र॒ते॒। न। शु॒भ्राः॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:11» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:3» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (शूर) अन्धकार को दूर करनेवाले सूर्य के समन शत्रुदल के नष्ट करनेवाले (इन्द्र) प्रकाशमान राजन् ! (येषु) जिन (स्तोमेषु) स्तुति विभागों वा (रुद्रियेषु) प्राणों की प्रतिपादना करनेवालों वा (उक्थेषु) कहने योग्य वाक्यों में आप (नु) शीघ्र (चाकन्) कामना करते हो (यासु, च) और जिन क्रियाओं में (मन्दसानः) प्रशंसित (इत्) ही हैं उन सभों में (तुभ्य,इत्) आप ही के लिये जैसे (एताः) ये (वायवे) पवन के अर्थ (शुभ्राः) सुन्दर शोभायुक्त बिजुली (प्रसिस्रते) पसरती फैलती हैं (न) वैसे सुशोभित हों ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जैसे पवन के साथ बिजुली फैलती है, वैसे विद्या के साथ पुरुष सुखों के बीच विहार करता है ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे शूरेन्द्र येषु स्तोमेषु रुद्रियेषूक्थेषु स भवान्नु चाकन् यासु च मन्दसान इदसि तासु सर्वासु तुभ्येदेतावायवे शुभ्राः प्रसिस्रते न शोभयन्तु ॥३॥

Word-Meaning: - (उक्थेषु) वक्तुं योग्येषु वाक्येषु (इत्) एव (नु) सद्यः (शूर) तमो हिंसकस्सवितेव शत्रुहिंसक (येषु) (चाकन्) कामयते (स्तोमेषु) स्तुवन्ति सर्वा विद्या येषु तेषु (इन्द्र) प्रकाशमान (रुद्रियेषु) रुद्राणां प्राणानां प्रतिपादकेषु (च) (तुभ्य) तुभ्यम्। छान्दसो मलोपः। (इत्) (एताः) (यासु) क्रियासु (मन्दसानः) प्रशंसितः (प्र) (वायवे) (सिस्रते) सरन्ति (न) इव (शुभ्राः) विद्युतः ॥३॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यथा वायुना सह विद्युत्प्रसरति तथा विद्यया सह पुरुषः सुखेषु विहरति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जशी वायूबरोबर विद्युत प्रसृत होते तसे विद्येमुळे पुरुष सुखात विहार करतो. ॥ ३ ॥