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नू॒नं सा ते॒ प्रति॒ वरं॑ जरि॒त्रे दु॑ही॒यदि॑न्द्र॒ दक्षि॑णा म॒घोनी॑। शिक्षा॑ स्तो॒तृभ्यो॒ माति॑ ध॒ग्भगो॑ नो बृ॒हद्व॑देम वि॒दथे॑ सु॒वीराः॑॥

English Transliteration

nūnaṁ sā te prati varaṁ jaritre duhīyad indra dakṣiṇā maghonī | śikṣā stotṛbhyo māti dhag bhago no bṛhad vadema vidathe suvīrāḥ ||

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Pad Path

नू॒नम्। सा। ते॒। प्रति॑। वर॑म्। जरि॒त्रे। दु॒ही॒यत्। इ॒न्द्र॒। दक्षि॑णा। म॒घोनी॑। शिक्ष॑। स्तो॒तृऽभ्यः॑। मा। अति॑। ध॒क्। भगः॑। नः॒। बृ॒हत्। व॒दे॒म॒। वि॒दथे॑। सु॒ऽवीराः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:11» Mantra:21 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:6» Mantra:6 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:21


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विद्वान् के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) विद्या देनेवाले ! जिन (ते) आपकी (दक्षिणा) बल करनेवाली (मघोनी) परमपूजित धनयुक्त नीति (जरित्रे) विद्या की स्तुति करनेवाले के लिये (वरम्) श्रेष्ठ को (नूनम्) निश्चय से (प्रति,दुहीयत्) पूरा करती हुई (स्तोतृभ्यः) स्तुति करनेवालों के लिये (शिक्ष) शिक्षा देती है (मा,अति,धक्) नहीं अतीव किसी को दहती नहीं कष्ट देती (सा) वह (नः) हमारे लिये (बृहद्भगः) विस्तृत धन को प्राप्त कराती है, उस नीति को प्राप्त होकर, (सुवीराः) सुन्दर वीरजन हम लोग (विदथे) संग्राम में (वदेम) कहें अर्थात् औरों को उपदेश दें ॥२१॥
Connotation: - जो सबको विद्या देने और सत्योपदेश करनेवाले के लिये बहुत श्रेष्ठ दक्षिणा देते हैं, वे विद्वान् होकर शूरवीर होते हैं ॥२१॥ इस सूक्त में राजधर्म विद्वान् और सेनापति के गुणों का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की पिछले सूक्त के अर्थ के साथ सङ्गति है, यह जानना चाहिये ॥ यह दूसरे मण्डल में ग्यारहवाँ सूक्त प्रथम अनुवाक और छठा वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

हे इन्द्र यस्य ते दक्षिणा मघोनी नीतिर्जरित्रे वरं सुखं नूनं प्रति दुहीयत्स्तोतृभ्यः शिक्ष मातिधक् सा नो बृहद्भगः प्रापयति तां प्राप्य सुवीरा वयं विदथे वदेम ॥२१॥

Word-Meaning: - (नूनम्) निश्चितम् (सा) वक्ष्यमाणा (ते) तव (प्रति) (वरम्) श्रेष्ठम् (जरित्रे) विद्यास्तावकाय (दुहीयत्) प्रतिपादयन् (इन्द्र) दातः (दक्षिणा) बलकारिणी (मघोनी) परमपूजितधनयुक्ता (शिक्ष) अनुशास्ति (स्तोतृभ्यः) (मा) निषेधे (प्रति) (धक्) दहति (भगः) धनम् (नः) अस्मभ्यम् (बृहत्) विस्तीर्णम् (वदेम) (विदथे) सङ्ग्रामे (सुवीराः) शोभनाश्च ते वीराश्च ते ॥२१॥
Connotation: - ये सर्वेषां विद्यादात्रे सत्योपदेशकर्त्रे पुष्कलां वरां दक्षिणां ददति ते विद्वांसो भूत्वा शूरवीरा जायन्ते ॥२१॥ अस्मिन्सूक्ते राजधर्मविद्वत्सेनापतिगुणवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इति द्वितीयमण्डले एकादशं सूक्तं प्रथमोऽनुवाकः षष्ठो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे सर्वांना विद्या देणाऱ्या व सत्योपदेश करणाऱ्यांना उत्कृष्ट दक्षिणा देतात ते विद्वान व शूरवीर असतात. ॥ २१ ॥