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बृ॒हन्त॒ इन्नु ये ते॑ तरुत्रो॒क्थेभि॑र्वा सु॒म्नमा॒विवा॑सान्। स्तृ॒णा॒नासो॑ ब॒र्हिः प॒स्त्या॑व॒त्त्वोता॒ इदि॑न्द्र॒ वाज॑मग्मन्॥

English Transliteration

bṛhanta in nu ye te tarutrokthebhir vā sumnam āvivāsān | stṛṇānāso barhiḥ pastyāvat tvotā id indra vājam agman ||

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Pad Path

बृ॒हन्तः॑। इत्। नु। ये। ते॒। त॒रु॒त्र॒। उ॒क्थेभिः॑। वा॒। सु॒म्नम्। आ॒ऽविवा॑सान्। स्तृ॒णा॒नासः॑। ब॒र्हिः। प॒स्त्य॑ऽवत्। त्वाऽऊ॑ताः। इत्। इ॒न्द्र॒। वाज॑म्। अ॒ग्म॒न्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:11» Mantra:16 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:6» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:16


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (तरुत्र) दुःख से तारनेवाले (इन्द्र) अविद्याविनाशक ! (ते) आपके (उक्थेभिः) सुन्दर उपदेशों से (बृहन्तः) पूज्य प्रशंसनीय (इत्) ही (सुम्नम्) सुख को (आ,विवासान्) सब ओर से सेवते हैं वे (पस्त्यावत्) घर के तुल्य (बर्हिः) बढ़े हुए को (स्तृणानासः) ढाँपते हुए (वा) अथवा (त्वोताः) आपके रक्षा किये हुए (इत्) ही (वाजम्) विज्ञान को (नु) शीघ्र (अग्मन्) प्राप्त होते हैं ॥१६॥
Connotation: - वे ही सुख को प्राप्त होते हैं, जो धार्मिक विद्वान् सत्पुरुषों से सुन्दर शिक्षित और रक्षित हों ॥१६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे तरुत्रेन्द्र ते तवोक्थेभिर्बृहन्त इद्ये सुम्नमाविवासाँस्ते पस्त्यावद्बर्हिस्तृणानासो वा त्वोता इद्वाजं न्वग्मन् ॥१६॥

Word-Meaning: - (बृहन्तः) महान्तः (इत्) एव (नु) सद्यः (ये) (ते) तव (तरुत्र) दुःखात्तारक (उक्थेभिः) सुष्ठूपदेशैः (वा) सुम्नम्) सुखम् (आविवासान्) समन्तात् सेवन्ते (स्तृणानासः) आच्छादयन्तः (बर्हिः) वृद्धम् (पस्त्यावत्) गृहवत् (त्वोताः) त्वया रक्षिताः (इत) एव (इन्द्र) अविद्याविच्छेदक (वाजम्) विज्ञानम् (अग्मन्) प्राप्नुवन्ति ॥१६॥
Connotation: - त एव सुखमाप्नुवन्ति ये धार्मिकेण सुशिक्षिताः रक्षिताः स्युः ॥१६॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे धार्मिक विद्वान सत्पुरुषांकडून सुशिक्षित व रक्षित असतात, तेच सुखी होतात. ॥ १६ ॥