Go To Mantra

अ॒न्या वो॑ अ॒न्याम॑वत्व॒न्यान्यस्या॒ उपा॑वत । ताः सर्वा॑: संविदा॒ना इ॒दं मे॒ प्राव॑ता॒ वच॑: ॥

English Transliteration

anyā vo anyām avatv anyānyasyā upāvata | tāḥ sarvāḥ saṁvidānā idam me prāvatā vacaḥ ||

Pad Path

अ॒न्या । वः॒ । अ॒न्याम् । अ॒व॒तु॒ । अ॒न्या । अ॒न्यस्याः॑ । उप॑ । अ॒व॒त॒ । ताः । सर्वाः॑ । स॒म्ऽवि॒दा॒नाः । इ॒दम् । मे॒ । प्र । अ॒व॒त॒ । वचः॑ ॥ १०.९७.१४

Rigveda » Mandal:10» Sukta:97» Mantra:14 | Ashtak:8» Adhyay:5» Varga:10» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:8» Mantra:14


Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अन्यः) एक (अन्याम्) एक दूसरी ओषधि को (अवतु) सुरक्षित करे परस्परगुणयोग से (अन्या) एक ओषधि (अन्यस्याम्) दी हुई एक ओषधि के (उप-अवत) ऊपर रहे (ताः) वे (सर्वाः) सब ओषधियाँ (संविदानाः) सम्मिलित हुई (मे) मेरे (इदं वचः) इस वचन को (प्र अवत) परिपालित करें ॥१४ ॥
Connotation: - वैद्य ऐसे युक्ति का विचारकर चिकित्सा करें कि एक दी हुई ओषधि दूसरी दी हुई ओषधि के प्रतिकूल न जावे, अपितु गुणवृद्धि करे तथा एक ओषधि से अधिक गुणकारी हो, सब ओषधियाँ मिलाकर दी जानेवाली रोगी अच्छा करने में वैद्य की प्रसिद्धि का निमित्त बनें ॥१४॥
Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अन्या-अन्याम्-अवतु) एका खल्वेकामोषधिं रक्षतु परस्परगुणयोगेन (अन्या-अन्यस्याः-उप-अवत) अन्या काचिदो-षधिरन्यस्या दीयमानाया ओषधेरुपरि तिष्ठेत् ‘लकारवचन-व्यत्ययश्छान्दसः’ (ताः सर्वाः संविदानाः) ताः सर्वा ओषधयः सम्मिलिताः (मे-इदं वचः प्र अवत) ममेदं रोगिणं प्रत्युक्तं यत्स्वस्थं करिष्यामि तत्परिपालयत ॥१४॥