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म॒न्युरिन्द्रो॑ म॒न्युरे॒वास॑ दे॒वो म॒न्युर्होता॒ वरु॑णो जा॒तवे॑दाः । म॒न्युं विश॑ ईळते॒ मानु॑षी॒र्याः पा॒हि नो॑ मन्यो॒ तप॑सा स॒जोषा॑: ॥

English Transliteration

manyur indro manyur evāsa devo manyur hotā varuṇo jātavedāḥ | manyuṁ viśa īḻate mānuṣīr yāḥ pāhi no manyo tapasā sajoṣāḥ ||

Pad Path

म॒न्युः । इन्द्रः॑ । म॒न्युः । ए॒व । आ॒स॒ । दे॒वः । म॒न्युः । होता॑ । वरु॑णः । जा॒तऽवे॑दाः । म॒न्युम् । विशः॑ । ई॒ळ॒ते॒ । मानु॑षीः । याः । पा॒हि । नः॒ । म॒न्यो॒ इति॑ । तप॑सा । स॒ऽजोषाः॑ ॥ १०.८३.२

Rigveda » Mandal:10» Sukta:83» Mantra:2 | Ashtak:8» Adhyay:3» Varga:18» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:6» Mantra:2


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (मन्युः-इन्द्रः)आत्मप्रभाव ही मानो राजा है-शासक है या विद्युत् के समान शक्तिशाली है (मन्युः-एव देवः-आस) आत्मप्रभाव-स्वाभिमान ही सूर्यदेव के समान है (मन्युः-होता वरुणः-जातवेदाः) आत्मप्रभाव ही यजमान वरणीय ऋत्विक् और जातप्रज्ञान-ब्रह्मा है। (मानुषीः-विशः-मन्युम्-ईळते) मनुष्यप्रजाएँ आत्मप्रभाव की प्रशंसा करती हैं (मन्यो तपसा नः सजोषाः पाहि) हे आत्मप्रभाव ! अपने तेज से हमारा समान सहयोगी होकर हमारी रक्षा कर ॥२॥
Connotation: - मनुष्य के अन्दर आत्मप्रभाव-स्वाभिमान राष्ट्र का शासक विद्युत् जैसा बलशाली बनता है, सूर्य जैसे प्रतापी और विद्वान् बनाता है, हितकारी श्रेष्ठ कर्म का याजक, ऋत्विक् और ब्रह्मा बनाता है, उसे अपने में सात्म्य बनाना चाहिए ॥२॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (मन्युः-इन्द्रः) आत्मप्रभावो हि खल्विन्द्रो राजा विद्युद्वा (मन्युः-एव देवः-आस) आत्मप्रभावो हि देवोऽस्ति (मन्युः-होता वरुणः-जातवेदाः) आत्मप्रभावो हि यजमानो वरणीय ऋत्विग् जातप्रज्ञानो ब्रह्मास्ति (मानुषीः-विशः-मन्युम्-ईळते) मनुष्यप्रजाः खल्वात्मप्रभावं स्तुवन्ति (मन्यो तपसा नः सजोषाः पाहि) हे आत्मप्रभाव ! अस्मान् समानसहयोगी भूत्वा पालय ॥२॥