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त्वे धे॒नुः सु॒दुघा॑ जातवेदोऽस॒श्चते॑व सम॒ना स॑ब॒र्धुक् । त्वं नृभि॒र्दक्षि॑णावद्भिरग्ने सुमि॒त्रेभि॑रिध्यसे देव॒यद्भि॑: ॥

English Transliteration

tve dhenuḥ sudughā jātavedo saścateva samanā sabardhuk | tvaṁ nṛbhir dakṣiṇāvadbhir agne sumitrebhir idhyase devayadbhiḥ ||

Pad Path

त्वे इति॑ । धे॒नुः । सु॒ऽदुघा॑ । जा॒त॒वे॒दः॒ । अ॒स॒श्चता॑ऽइव । स॒म॒ना । स॒बः॒ऽधुक् । त्वम् । नृऽभिः॑ । दक्षि॑णावत्ऽभिः । अ॒ग्ने॒ । सु॒ऽमि॒त्रेभिः॑ । इ॒ध्य॒से॒ । दे॒व॒यत्ऽभिः॑ ॥ १०.६९.८

Rigveda » Mandal:10» Sukta:69» Mantra:8 | Ashtak:8» Adhyay:2» Varga:20» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:6» Mantra:8


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (जातवेदः) हे सर्वोत्पादक, सर्वज्ञ, परमात्मन् ! या राष्ट्ररूप धन जिसके लिए संपन्न हुआ है, ऐसे राजन् ! (त्वे) तुझ (असश्चता-इव) शान्त के द्वारा (सुदुघा-धेनुः) अच्छी दोहनवाली गौ की भाँति स्तुति करनेवाली प्रजा (समना) समान मनवाली-अविचल मनवाली (सबर्धुक्) सुख दोहनयोग्य है (त्वम् ) तू (दक्षिणावद्भिः सुमित्रेभिः) आत्मसमर्पणरूप दक्षिणवाले अच्छे स्नेही (देवयद्भिः-नृभिः-इध्यसे) तझे अपना देव माननेवाले जीवन्मुक्तों द्वारा प्रसिद्ध किया जाता है-साक्षात् किया जाता है ॥८॥
Connotation: - सर्वज्ञ शान्तस्वरूप परमात्मा के लिए स्तुति करनेवाले जन स्तुति भेंटरूप में देते हैं और आत्मसमर्पण करनेवाले जनों-अपना इष्टदेव माननेवाले जनों के द्वारा सक्षात् किया जाता है या प्रसिद्ध किया जाता है। एवं जो राजा राष्ट्रधन का उपभोग करनेवाला है, इन्द्रियविषयों में आसक्त नहीं होता, उसकी प्रजा उसके लिए सुगमता से दुहनेवाली गौ के समान भेंट देनेवाली होती है और उसे अपने ऊपर शासक देव मानती हुई उसकी प्रसिद्धि करती है ॥८॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (जातवेदः) हे सर्वोत्पादक ! सर्वज्ञ ! परमात्मन् ! जातं राष्ट्ररूपं धनं यस्मै-राष्ट्रधनवन् राजन् ! वा (त्वे) त्वया (असश्चता-इव) असज्यमानेन शान्तगतिकेन वा सह “असश्चन्ती असज्यमाने” [निरु० १।११] (सुदुघा धेनुः) सुदोग्ध्री गौरिव स्तोतृप्रजा (समना) समानमनस्का (सबर्धुक्) सुखदोहनयोग्याऽस्ति (त्वम्) त्वं खलु (दक्षिणावद्भिः सुमित्रेभिः-देवयद्भिः-नृभिः) आत्मसमर्पणरूप-दक्षिणावद्भिः शोभनस्नेहिभिस्त्वं देवं मन्यमानैर्जीवन्मुक्तैः “नरो ह वै देवविशः” [जै० १।८९] प्रकाशितीक्रियसे प्रसिद्धीक्रियसे साक्षात्क्रियसे ॥८॥