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विश्वे॑ दे॒वाः स॒ह धी॒भिः पुरं॑ध्या॒ मनो॒र्यज॑त्रा अ॒मृता॑ ऋत॒ज्ञाः । रा॒ति॒षाचो॑ अभि॒षाच॑: स्व॒र्विद॒: स्व१॒॑र्गिरो॒ ब्रह्म॑ सू॒क्तं जु॑षेरत ॥

English Transliteration

viśve devāḥ saha dhībhiḥ puraṁdhyā manor yajatrā amṛtā ṛtajñāḥ | rātiṣāco abhiṣācaḥ svarvidaḥ svar giro brahma sūktaṁ juṣerata ||

Pad Path

विश्वे॑ । दे॒वाः । स॒ह । धी॒भिः । पुर॑म्ऽध्या । मनोः॑ । यज॑त्राः । अ॒मृताः॑ । ऋ॒त॒ऽज्ञाः । रा॒ति॒ऽसाचः॑ । अ॒भि॒ऽसाचः॑ । स्वः॒ऽविदः॑ स्वः॑ । गिरः॑ । ब्रह्म॑ । सु॒ऽउ॒क्तम् । जु॒षे॒र॒त॒ ॥ १०.६५.१४

Rigveda » Mandal:10» Sukta:65» Mantra:14 | Ashtak:8» Adhyay:2» Varga:11» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:5» Mantra:14


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (विश्वेदेवासः) सर्व विषयों में प्रवेशशील विद्वान् या सर्वत्र फैलनेवाली हवाएँ (धीभिः पुरन्ध्या सह) यथायोग्य कर्मों द्वारा या स्तुति तथा बहुविध बुद्धि के साथ (मनोः-यजत्राः) मननीय ज्ञान के देनेवाले या निमित्त हुए (अमृताः-ऋतज्ञाः) जीवन्मुक्त सत्यज्ञानवाले विद्वान् या चिरस्थायी सूचना देनेवाली हवाएँ (रातिषाचः) दातव्य बुद्धि के या सुख सम्पत्ति के सम्बन्ध करानेवाले (अभिषाचः) आभिमुख्य से सम्प्राप्त (स्वर्विदः) सुखप्राप्त करानेवाले (स्वः-गिरः) सुख शब्द करनेवाले (ब्रह्म सूक्तं जुषेरन्) ज्ञानरूप सुकथन को सेवन कराएँ ॥१४॥
Connotation: - सब विषयों में प्रविष्ट विद्वान् यथार्थ कर्मों का उपदेश और बुद्धि को प्रदान किया करते हैं। वे जीवन्मुक्त ज्ञानी साक्षात् ब्रह्मज्ञान में प्रवृत्त करते हैं। एवं सर्वत्र बहनेवाली हवाएँ कर्मशील बनने के लिए प्रेरित करती हैं। स्थिर जीवन का निमित्त बनती हैं। तथा वायु से अनेक शब्दसंचार के कार्य सम्पन्न किये जाते हैं ॥१४॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (विश्वेदेवाः) सर्वविषयप्रवेशशीलाः विद्वांसो वायवो वा (धीभिः पुरन्ध्या सह) यथायोग्यकर्मभिः स्तुत्या बहुविधबुद्ध्या वा सह (मनोः-यजत्राः) मननीयज्ञानस्य दातारो निमित्ता वा (रातिषाचः) रातव्यायाः-दातव्यायाः-बुद्धेर्दातव्यसुखसम्पत्तेर्वा समवेत्तारः (अभिषाचः) आभिमुख्येन सम्प्राप्ताः (स्वर्विदः) सुखप्रापयितारः (स्वः-गिरः) सुखं गिरन्तः शब्दयन्त इव (ब्रह्म सूक्तं जुषेरन्) ज्ञानं सुकथनं सेवयन्तु प्रापयन्तु ॥१४॥