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स॒तो नू॒नं क॑वय॒: सं शि॑शीत॒ वाशी॑भि॒र्याभि॑र॒मृता॑य॒ तक्ष॑थ । वि॒द्वांस॑: प॒दा गुह्या॑नि कर्तन॒ येन॑ दे॒वासो॑ अमृत॒त्वमा॑न॒शुः ॥

English Transliteration

sato nūnaṁ kavayaḥ saṁ śiśīta vāśībhir yābhir amṛtāya takṣatha | vidvāṁsaḥ padā guhyāni kartana yena devāso amṛtatvam ānaśuḥ ||

Pad Path

स॒तः । नू॒नम् । क॒व॒यः॒ । सम् । शि॒शी॒त॒ । वाशी॑भिः । याभिः॑ । अ॒मृता॑य । तक्ष॑थ । वि॒द्वांसः॑ । प॒दा । गुह्या॑नि । क॒र्त॒न॒ । येन॑ । दे॒वासः॑ । अ॒मृ॒त॒ऽत्वम् । आ॒न॒शुः ॥ १०.५३.१०

Rigveda » Mandal:10» Sukta:53» Mantra:10 | Ashtak:8» Adhyay:1» Varga:14» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:4» Mantra:10


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (कवयः) विद्वानों ! (नूनम्) अवश्य (वाशीभिः सतः सं शिशीत) वेदवाणियों के द्वारा सत्पुरुषों को तीक्ष्ण करो-उद्बुद्ध करो (याभिः-अमृतत्वाय तक्षथ) जिन वाणियों के द्वारा अपने को अमृतत्व-मोक्ष के लिए तुम सम्पन्न करते हो (विद्वांसः) हे विद्वानों ! (गुह्यानि पदा कर्तन) रहस्यमय गुप्त प्राप्तव्य सुखों को यहाँ सम्पन्न-प्राप्त करते हो (येन देवासः-अमृतत्वम्-आनशुः) जिस ज्ञान द्वारा विद्वान् मुमुक्षु जन अमृतत्व-मोक्ष को प्राप्त करते हैं ॥१०॥
Connotation: - अपने लिए मुमुक्षु विद्वान् जैसे सांसारिक सुखों को वेदज्ञान से सिद्ध करते हैं, उसी प्रकार वेदज्ञान से मोक्ष को भी सिद्ध करते हैं। अपने की तरह दूसरों के भी दोनों सुखों को सिद्ध करने के लिए उन्हें वेद का प्रचार और उसके द्वारा अन्यों को प्रेरित करना चाहिए ॥१०॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (कवयः) विद्वांसः ! (नूनम्) अवश्यम् (वाशीभिः सतः संशिशीत) वेदवाग्भिः “वाशी वाङ्नाम” [निघ० १।११] सत्पुरुषान् तीक्ष्णी कुरुत (याभिः-अमृतत्वाय तक्षथ) याभिर्वाग्भिरमृतत्वाय मोक्षाय यूयमात्मानं सम्पादयत (विद्वांसः) हे विद्वांसः ! (गुह्यानि पदा कर्तन) रहस्यमयानि गुह्यानि प्राप्तव्यानि सुखानि कुरुत (येन देवासः-अमृतत्वम्-आनशुः) येन ज्ञानेन विद्वांसः-अमृतत्वं प्राप्नुयुः ॥१०॥