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श्री॒णामु॑दा॒रो ध॒रुणो॑ रयी॒णां म॑नी॒षाणां॒ प्रार्प॑ण॒: सोम॑गोपाः । वसु॑: सू॒नुः सह॑सो अ॒प्सु राजा॒ वि भा॒त्यग्र॑ उ॒षसा॑मिधा॒नः ॥

English Transliteration

śrīṇām udāro dharuṇo rayīṇām manīṣāṇām prārpaṇaḥ somagopāḥ | vasuḥ sūnuḥ sahaso apsu rājā vi bhāty agra uṣasām idhānaḥ ||

Pad Path

श्री॒णाम् । उ॒त्ऽआ॒रः । ध॒रुणः॑ । र॒यी॒णाम् । म॒नी॒षाणा॑म् । प्र॒ऽअर्प॑णः । सोम॑ऽगोपाः । वसुः॑ । सू॒नुः । सह॑सः । अ॒प्ऽसु । राजा॑ । वि । भा॒ति॒ । अग्रे॑ । उ॒षसा॑म् । इ॒धा॒नः ॥ १०.४५.५

Rigveda » Mandal:10» Sukta:45» Mantra:5 | Ashtak:7» Adhyay:8» Varga:28» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:4» Mantra:5


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (श्रीणाम्-उदारः) यह सूर्य अग्नि प्राणों का उत्तेजक है-उत्पन्न करनेवाला है (रयीणां धरुणः) पुष्टियों का धारक है (मनीषाणां प्रार्पणः) बुद्धियों का प्रेरक है (सोमगोपाः) उत्पन्न होते हुए पदार्थों का रक्षक है (वसुः) बसानेवाला-विस्तृत करनेवाला है (सहसः सूनुः) बल का उद्बोधक है (अप्सु राजा) अन्तरिक्ष में वर्तमान पिण्डों के राजा की भाँति है (उषसाम्-अग्रे-इधानः-विभाति) प्रभात में ज्योतिरेखाओं के आगे अर्थात् पश्चात् विशिष्टरूप से दीप्त होता है ॥५॥
Connotation: - सूर्य संसार में प्राणशक्ति का प्रेरक है, नाना प्रकार की पुष्टियों को देनेवाला है। बुद्धियों का प्रेरक, उत्पन्न होनेवाले पदार्थों को बढ़ानेवाला, बलवर्धक, आकाश के पिण्डों को प्रकाश देनेवाला और उषावेलाओं के पश्चात् प्रकाशित होनेवाला या उदय होनेवाला उपयोगी पिण्ड है ॥५॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (श्रीणाम्-उदारः) एष सूर्यरूपोऽग्निः प्राणानाम् “प्राणाः श्रियः” [श० ६।१।१।४] उत्प्रेरक उन्नायकः (रयीणां धरुणः) पुष्टीनां धारको धारयिता (मनीषाणां प्रार्पणः) बुद्धीनां प्रेरयिता (सोमगोपाः) सवनीयानामुत्पद्यमानानां गोपायिता रक्षकः (वसुः) वासयिता (सहसः सूनुः) बलस्य-उत्प्रेरकः (अप्सु राजा) अन्तरिक्षे आकाशे पिण्डानां राजेव (उषसाम्-अग्रे-इधानः-विभाति) उषसां प्रभाते भवानां ज्योतीरेखानामग्रे-अनन्तरं विशिष्टं दीप्यते ॥५॥