Go To Mantra

गोभि॑ष्टरे॒माम॑तिं दु॒रेवां॒ यवे॑न॒ क्षुधं॑ पुरुहूत॒ विश्वा॑म् । व॒यं राज॑भिः प्रथ॒मा धना॑न्य॒स्माके॑न वृ॒जने॑ना जयेम ॥

English Transliteration

gobhiṣ ṭaremāmatiṁ durevāṁ yavena kṣudham puruhūta viśvām | vayaṁ rājabhiḥ prathamā dhanāny asmākena vṛjanenā jayema ||

Pad Path

गोभिः॑ । त॒रे॒म॒ । अम॑तिम् । दुः॒ऽएवा॑म् । यवे॑न । क्षुध॑म् । पु॒रु॒ऽहू॒त॒ । विश्वा॑म् । व॒यम् । राज॑ऽभिः । प्र॒थ॒मा । धना॑नि । अ॒स्माके॑न । वृ॒जने॑न । ज॒ये॒म॒ ॥ १०.४४.१०

Rigveda » Mandal:10» Sukta:44» Mantra:10 | Ashtak:7» Adhyay:8» Varga:27» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:4» Mantra:10


Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (पुरुहूत) हे बहुत आह्वान करने योग्य राजन् (गोभिः-दुरेवाम्-अमतिम्) वेदवाणियों से दुःख प्राप्त करानेवाली अज्ञान बुद्धि को (यवेन विश्वां क्षुधम्) अन्न से समस्त भूख को (तरेम) पार करें-निवृत्त करें (राजभिः प्रथमा धनानि) आप जैसे राजाओं से प्रमुख धनों को प्राप्त करें (अस्माकेन वृजनेन जयेम) तथा हम अपने बल से विजय प्राप्त करें ॥१०॥
Connotation: - राष्ट्र की प्रजाएँ शासकों की सहायता से धनसम्पत्ति का उपार्जन करें। अपने बल से अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करें। विविध भोजनों से क्षुधा की निवृत्ति करें एवं नाना विद्याओं के अध्ययन से अज्ञानबुद्धि को दूर करें ॥१०॥
Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (पुरुहूत) हे बहुह्वातव्य राजन् ! (गोभिः-दुरेवाम्-अमतिम्) वेदवाग्भिर्दुःखप्रापिकामज्ञानबुद्धिम् (यवेन विश्वां क्षुधम्) अन्नेन सर्वां क्षुधम् (तरेम) पारयेम (राजभिः प्रथमा धनानि) भवादृशैः शासकैः प्रमुखानि धनानि (अस्माकेन वृजनेन जयेम) तथा स्वकीयेनास्मदीयेन बलेन जयेम-जयं प्राप्नुयाम ॥१०॥