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येन॑ सूर्य॒ ज्योति॑षा॒ बाध॑से॒ तमो॒ जग॑च्च॒ विश्व॑मुदि॒यर्षि॑ भा॒नुना॑ । तेना॒स्मद्विश्वा॒मनि॑रा॒मना॑हुति॒मपामी॑वा॒मप॑ दु॒ष्ष्वप्न्यं॑ सुव ॥

English Transliteration

yena sūrya jyotiṣā bādhase tamo jagac ca viśvam udiyarṣi bhānunā | tenāsmad viśvām anirām anāhutim apāmīvām apa duṣṣvapnyaṁ suva ||

Pad Path

येन॑ । सू॒र्य॒ । ज्योति॑षा । बाध॑से । तमः॑ । जग॑त् । च॒ । विश्व॑म् । उ॒त्ऽइ॒यर्षि॑ । भा॒नुना॑ । तेन॑ । अ॒स्मत् । विश्वा॑म् । अनि॑राम् । अना॑हुतिम् । अप॑ । अमी॑वाम् । अप॑ । दुः॒ऽस्वप्न्य॑म् । सु॒व॒ ॥ १०.३७.४

Rigveda » Mandal:10» Sukta:37» Mantra:4 | Ashtak:7» Adhyay:8» Varga:12» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:3» Mantra:4


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सूर्य) हे जगत्प्रकाशक परमात्मन् ! या सूर्य ! (येन ज्योतिषा) जिस ज्ञानप्रकाश से या रश्मिप्रकाश से (तमः-बाधसे) अज्ञान को या अन्धकार को हटाता है (भानुना) प्रभाव से या प्रकाश से (विश्वं जगत्) सारे जगत् को (उत्-इयर्षि) उभारता है-गतिमय करता है, (तेन) उससे (अस्मत्) हमसे (विश्वाम्-अनिराम्) सब अन्नरहितता-दरिद्रता को तथा (अनाहुतिम्) आहुतिप्रदान के अभावरूप घृत दूध आदि की रहितता को उसके निमित्तभूत गौ आदि पशुओं की रहितता को (अमीवाम्) रोगप्रवृत्ति को (दुःस्वप्न्यम्) निद्रादोष से प्राप्त दुर्भावना को (अप सुव) दूर कर ॥४॥
Connotation: - परमात्मा अपने ज्ञानप्रकाश से अज्ञानान्धकार को हटाता है और समस्त जगत् को उद्भूत करता है-प्रसिद्ध करता है तथा दुर्भिक्षता और बुरे स्वप्नों को हटाता है तथा सूर्य अपनी रश्मि द्वारा अन्धकार को भगाता है, जगत् को चमकाता है। अन्नादि भोग्य पदार्थों के अभाव और निद्रादोष को दूर करता है ॥४॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सूर्य) हे जगत्प्रकाशक परमात्मन् ! सूर्य ! वा (येन ज्योतिषा) येन ज्ञानप्रकाशेन यद्वा येन रश्मिप्रकाशेन (तमः-बाधसे) अज्ञानं यद्वान्धकारमपगमयसि (भानुना) प्रभावेण भासनेन वा (विश्वं जगत्-उत्-इयर्षि) सर्वं जगत्प्रेरयसि गतिमयं करोषि (तेन) तेन प्रभावेण भासनेन वा (अस्मत्) अस्मत्तः (विश्वाम्-अनिराम्) सर्वामन्नाभावरूपां दरिद्रताम् (अनाहुतिम्) आहुतिप्रदानाभावरूपां घृतदुग्धरहिततां तन्निमित्तभूतां गवादिपशुरहितताम् (अमीवाम्) रोगप्रवृत्तिम् (दुःस्वप्न्यम्) निद्रादोषात् प्राप्तां दुर्भावनाम् (अपसुव) दूरीकुरु ॥४॥