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अ॒स्माकं॑ देवा उ॒भया॑य॒ जन्म॑ने॒ शर्म॑ यच्छत द्वि॒पदे॒ चतु॑ष्पदे । अ॒दत्पिब॑दू॒र्जय॑मान॒माशि॑तं॒ तद॒स्मे शं योर॑र॒पो द॑धातन ॥

English Transliteration

asmākaṁ devā ubhayāya janmane śarma yacchata dvipade catuṣpade | adat pibad ūrjayamānam āśitaṁ tad asme śaṁ yor arapo dadhātana ||

Pad Path

अ॒स्माक॑म् । दे॒वाः॒ । उ॒भया॑य । जन्म॑ने । शर्म॑ । य॒च्छ॒त॒ । द्वि॒ऽपदे॑ । चतुः॑ऽपदे । अ॒दत् । पिब॑त् । ऊ॒र्जय॑मानम् । आशि॑तम् । तत् । अ॒स्मे इति॑ । शम् । योः । अ॒र॒पः । द॒धा॒त॒न॒ ॥ १०.३७.११

Rigveda » Mandal:10» Sukta:37» Mantra:11 | Ashtak:7» Adhyay:8» Varga:13» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:3» Mantra:11


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (देवाः) हे जीवन्मुक्त ! या विद्वान् लोगों ! (अस्माकम्-उभयाय जन्मने) हमारे से सम्बन्ध रखनेवाले दोनों प्रकार के जन्मधारण करनेवाले (द्विपदे चतुष्पदे शर्म यच्छत) दो पैरोंवाले-मनुष्य और चार पैरोंवाले-पशुओं के लिए सुख प्रदान करो (तत् अदत् पिबत्-ऊर्जयमानम्-आशितम्) वह प्रत्येक गण खाता और पीता हुआ तथा भली प्रकार से भोग प्राप्त करता हुआ बलवान् हो (अस्मे-अरपः-शंयोः दधातन) हमारे लिए पापरहित सुख को धारण करो-प्रदान करो ॥११॥
Connotation: - जीवन्मुक्त, परमात्मा की उपासना करनेवाले अपने सत्योपदेश के द्वारा हमें और हमारे पशुओं के लिए हित साधते हैं और निर्दोष सुख को प्राप्त कराते हैं। एवं सूर्य की किरणें और उनके जाननेवाले विद्वान् भी हमें और हमारे पशुओं को उत्तम जीवन प्रदान करते हैं ॥११॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (देवाः) जीवन्मुक्ता विद्वांसो वा (अस्माकम्-उभयाय जन्मने द्विपदे चतुष्पदे शर्म यच्छत) अस्मत्सम्बन्धिने खलूभयाय द्विप्रकाराय जन्मधारकाय द्विपदे मनुष्याय चतुष्पदे पशवे सुखं प्रयच्छत (तत्-अदत् पिबत्-ऊर्जयमानम्-आशितम्) तत् प्रत्येकं वृन्दं भक्षयत् पिबच्च तथा समन्ताद् भोगं प्राप्नुवत्-बलवद् भवतु (अस्मे-अरपः-शंयोः दधातन) अस्मभ्यं पापरहितं सुखं धारयत ॥११॥