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बृ॒हन्न॑च्छा॒यो अ॑पला॒शो अर्वा॑ त॒स्थौ मा॒ता विषि॑तो अत्ति॒ गर्भ॑: । अ॒न्यस्या॑ व॒त्सं रि॑ह॒ती मि॑माय॒ कया॑ भु॒वा नि द॑धे धे॒नुरूध॑: ॥

English Transliteration

bṛhann acchāyo apalāśo arvā tasthau mātā viṣito atti garbhaḥ | anyasyā vatsaṁ rihatī mimāya kayā bhuvā ni dadhe dhenur ūdhaḥ ||

Pad Path

बृ॒हन् । अ॒च्छा॒यः । अ॒प॒ला॒शः । अर्वा॑ । त॒स्थौ । मा॒ता । विऽसि॑तः । अ॒त्ति॒ । गर्भः॑ । अ॒न्यस्याः॑ । व॒त्सम् । रि॒ह॒ती । मि॒मा॒य॒ । कया॑ । भु॒वा । नि । द॒धे॒ । धे॒नुः । ऊधः॑ ॥ १०.२७.१४

Rigveda » Mandal:10» Sukta:27» Mantra:14 | Ashtak:7» Adhyay:7» Varga:17» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:2» Mantra:14


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (बृहन्) महान् परमात्मा (अच्छायः) छायारहित-केवल (अपलाशः) फलभोग से रहित (अर्वा) सर्वत्र प्राप्त (माता) मातृरूप-निर्माण करनेवाला (विषितः) बन्धनरहित-असीम (तस्थौ) अधिष्ठातारूप में विराजमान है, तथा (गर्भः-अत्ति) सब को अपने अन्दर ग्रहण करनेवाला होता हुआ प्रलय में अपने अन्दर सब को ले लेता है (अन्यस्याः वत्सं रिहती) दूसरे के बच्चे को चूमती हुई गौ के समान (मिमाय) स्नेह से शब्द करता है-वेद का प्रवचन करता है (कया भुवा) किसी आन्तरिक भावना से (धेनुः-ऊधः-निदधे) जैसे गौ अपने दूध भरे स्तनयुक्त अङ्ग को बछड़े के लिये नीचे करती है, ऐसे ही परमात्मा जीव को स्तनरूप स्वाश्रय में धारण करता है ॥१४॥
Connotation: - परमात्मा महान् स्वस्वरूप में अनुपम केवल फलभोग से रहित सर्वत्र व्याप्त सब का निर्माता और अधिष्ठाता है। सब संसार को अपने अन्दर रखता है, सबकी स्थिति का स्थापक है। जीवात्मा को अपने आश्रय में कर्मफल भोग कराता है ॥१४॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (बृहन्) महान् परमात्मा (अच्छायः) छायारहितः केवलः (अपलाशः) पलाशनं फलाशनं तद्रहितः (अर्वा) सर्वत्र गतिशीलो व्याप्तः (माता) मातृभूतो निर्माता (विषितः) निर्बन्धनः (तस्थौ) तिष्ठति (गर्भः अत्ति) सर्वं गृह्णाति अतएव सर्वमत्ति गृह्णाति (अन्यस्याः वत्सं रिहती) अन्यस्या वत्सं चुम्बन्ती गौरिव (मिमाय) स्नेहेन शब्दयति (कया भुवा) कयाचिद् भावनया (धेनुः-ऊधः निदधे) यथा धेनुर्गौः स्वकीयमूधो दुग्धधारमङ्गं निम्नं करोति वत्साय कृपयेति तद्वज्जीवं धारयति ॥१४॥