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अ॒स्य प्र जा॒तवे॑दसो॒ विप्र॑वीरस्य मी॒ळ्हुष॑: । म॒हीमि॑यर्मि सुष्टु॒तिम् ॥

English Transliteration

asya pra jātavedaso vipravīrasya mīḻhuṣaḥ | mahīm iyarmi suṣṭutim ||

Pad Path

अ॒स्य । प्र । जा॒तऽवे॑दसः । विप्र॑ऽवीरस्य । मी॒ळ्हुषः॑ । म॒हीम् । इ॒य॒र्मि॒ । सु॒ऽस्तु॒तिम् ॥ १०.१८८.२

Rigveda » Mandal:10» Sukta:188» Mantra:2 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:46» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:2


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अस्य) इस (जातवेदसः) पूर्वोक्त परमात्मा या अग्नि (विप्रवीरस्य) मेधावी प्राप्त करनेवाला जिसका है, उस ऐसे (मीढुषः) सुख सींचनेवाले की (महीं स्तुतिम्) महती स्तुति या प्रशंसा को (इयर्मि) प्रेरित करता हूँ या प्रशंसा करता हूँ ॥२॥
Connotation: - मेधावी द्वारा प्राप्त होनेवाले सुखवर्षक परमात्मा की महती स्तुति करनी चाहिए तथा अग्नि का उपयोग कर लाभ लेना चाहिये ॥२॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अस्य जातवेदसः) एतस्य पूर्वोक्तस्य परमात्मनो यद्वाग्नेः (विप्रवीरस्य) विप्रो मेधावी वीरः प्रापयिता यस्य तथाभूतस्य (मीढुषः) सुखसेचकस्य (महीं स्तुतिम्-इयर्मि) महतीं स्तुतिं प्रेरयामि यद्वा प्रशंसां करोमि ॥२॥