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पय॑स्वती॒रोष॑धय॒: पय॑स्वन्माम॒कं वच॑: । अ॒पां पय॑स्व॒दित्पय॒स्तेन॑ मा स॒ह शु॑न्धत ॥

English Transliteration

payasvatīr oṣadhayaḥ payasvan māmakaṁ vacaḥ | apām payasvad it payas tena mā saha śundhata ||

Pad Path

पय॑स्वतीः । ओष॑धयः । पय॑स्वत् । मा॒म॒कम् । वचः॑ । अ॒पाम् । पय॑स्वत् । इत् । पयः॑ । तेन॑ । मा॒ । स॒ह । शु॒न्ध॒त॒ ॥ १०.१७.१४

Rigveda » Mandal:10» Sukta:17» Mantra:14 | Ashtak:7» Adhyay:6» Varga:25» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:2» Mantra:14


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ओषधयः पयस्वतीः) ओष-ताप को पीनेवाली समाप्त करनेवाली रसभरी ओषधियाँ सारवती गुणवती होवें (मामकं वचः पयस्वत्) उनके सेवन से मेरा स्तुतिवचन रसवाला हो (अपां पयः पयस्वत्) जलों का रस भी बहुत गुणवाला हो (तेन सह मा शुन्धत) उस गुणवाले रस से मुझे शुद्ध कर ॥१४॥
Connotation: - परमात्मा की कृपा से ओषधियाँ मानवों के लिए गुणवती एवं ताप को-रोग को दूर करनेवाली होती हैं। उनके ठीक सेवन से परमात्मा का स्तुतिवचन सफल होता है। इसी प्रकार जल भी बहुत गुणवाला होता है, जो हमारा अनेक प्रकार से शोधन करता है ॥१४॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ओषधयः पयस्वतीः) ओषं तापं धयन्त्य आपो रसवत्यः सारवत्यो गुणवत्यः सन्तु “रसो वै पयः” [श०४।४।४।८] (मामकं वचः पयस्वत्) तत्सेवनेन मदीयं वचनं स्तुतिवचनं तव परमात्मन् रसवत् स्यात् (अपां पयः पयस्वत्) अपामुदकानां रसोऽपि रसवान् बहुगुणवान् भवतु (तेन सह मा शुन्धत) तेन गुणवता रसेन मां शोधयतु ॥१४॥