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ऋ॒चा क॒पोतं॑ नुदत प्र॒णोद॒मिषं॒ मद॑न्त॒: परि॒ गां न॑यध्वम् । सं॒यो॒पय॑न्तो दुरि॒तानि॒ विश्वा॑ हि॒त्वा न॒ ऊर्जं॒ प्र प॑ता॒त्पति॑ष्ठः ॥

English Transliteration

ṛcā kapotaṁ nudata praṇodam iṣam madantaḥ pari gāṁ nayadhvam | saṁyopayanto duritāni viśvā hitvā na ūrjam pra patāt patiṣṭhaḥ ||

Pad Path

ऋ॒चा । क॒पोत॑म् । नु॒द॒त॒ । प्र॒ऽनोद॑म् । इष॑म् । मद॑न्तः । परि॑ । गाम् । न॒य॒ध्व॒म् । स॒म्ऽयो॒पय॑न्तः । दुः॒ऽइ॒तानि॑ । विश्वा॑ । हि॒त्वा । नः॒ । ऊर्ज॑म् । प्र । प॒ता॒त् । पति॑ष्ठः ॥ १०.१६५.५

Rigveda » Mandal:10» Sukta:165» Mantra:5 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:23» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:5


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ऋचा) स्तुति-प्रशंसा से (प्रणोदं कपोतम्) भेजने योग्य दूत को (नुदत) भेजो-प्रतिप्रेरित करो (मदन्तः) हर्षित होते हुए (इषम्) अन्न को (गाम्) गवादि पशु को (परि-नयध्वम्) परिरक्षित रखो (विश्वा-दुरितानि) सब दुरितों न्यूनताओं कमियों को (संयोपयन्तः) गुप्त रखते हुए (नः-ऊर्जं-हित्वा) हमारे लिए बल को छोड़कर (पतिष्ठः प्रपतात्) पतनशील दूत जावे ॥५॥
Connotation: - दूत को स्तुति प्रशंसा के साथ वापस भेजना चाहिए, अपने अन्न गवादि पशु को परिपुष्ट बनाना चाहिये, अपनी समस्त कमियों को गुप्त रखना या उनको पूरा करना चाहिए, अपने शासनबल को भी दूत न जान सके, वह ऐसे ही वापस जावे ॥५॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ऋचा कपोतम्) स्तुत्या प्रशंसया दूतम् (प्रणोदं नुदत) पुनः प्रेरणीयं तद्देशं प्रति प्रेरयत (मदन्तः) हर्षयन्तः (इषं गां परि-नयध्वम्) अन्नं गवादिपशुं परिरक्षत (विश्वा दुरितानि) सर्वाणि दुष्कृत्यानि (संयोपयन्तः) गोपयन्तः (नः-ऊर्जं हित्वा) अस्मभ्यं बलं त्यक्त्वा (पतिष्ठः प्रपतात्) पतनशीलः प्रगच्छेत् ॥५॥