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वि न॑ इन्द्र॒ मृधो॑ जहि नी॒चा य॑च्छ पृतन्य॒तः । यो अ॒स्माँ अ॑भि॒दास॒त्यध॑रं गमया॒ तम॑: ॥

English Transliteration

vi na indra mṛdho jahi nīcā yaccha pṛtanyataḥ | yo asmām̐ abhidāsaty adharaṁ gamayā tamaḥ ||

Pad Path

वि । नः॒ । इ॒न्द्र॒ । मृधः॑ । ज॒हि॒ । नी॒चा । य॒च्छ॒ । पृ॒त॒न्य॒तः । यः । अ॒स्मान् । अ॒भि॒ऽदास॑ति । अध॑रम् । ग॒म॒य॒ । तमः॑ ॥ १०.१५२.४

Rigveda » Mandal:10» Sukta:152» Mantra:4 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:10» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:4


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे राजन् (नः) हमारे (मृधः) संग्रामकारी शत्रु को (वि जहि) विनष्ट कर (पृतन्यतः) संग्राम करते हुए शत्रुओं को (नीचा यच्छ) नीचा मुख करके वश में ले (यः) जो (अस्मान्) हमें (अभिदासति) नष्ट करता है (अधरं तमः) नीचे अन्धकार में (गमय) प्राप्त करा-पहुँचा ॥४॥
Connotation: - राजा प्रजा के शत्रुओं को विनष्ट करे, संग्राम करनेवाले को नीचा मुखकर वश करे और जो आक्रमण करे, उसे भी नीचे अन्धकार में पहुँचाये, उस पर तामस अस्त्र फेंके ॥४॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे राजन् ! (नः-मृधः-वि जहि) अस्माकं संग्रामकारिणः शत्रून् विनाशय (पृतन्यतः नीचा यच्छ) संग्रामं कुर्वतो नीचैर्मुखीकृत्य वशे नय (यः-अस्मान्-अभिदासति) योऽस्मान् नाशयति (अधरं-तमः-गमय) नीचैरन्धकारं प्रापय ॥४॥