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शा॒स इ॒त्था म॒हाँ अ॑स्यमित्रखा॒दो अद्भु॑तः । न यस्य॑ ह॒न्यते॒ सखा॒ न जीय॑ते॒ कदा॑ च॒न ॥

English Transliteration

śāsa itthā mahām̐ asy amitrakhādo adbhutaḥ | na yasya hanyate sakhā na jīyate kadā cana ||

Pad Path

शा॒सः । इ॒त्था । म॒हान् । अ॒सि॒ । अ॒मि॒त्र॒ऽखा॒दः । अद्भु॑तः । न । यस्य॑ । ह॒न्यते॑ । सखा॑ । न । जीय॑ते । कदा॑ । च॒न ॥ १०.१५२.१

Rigveda » Mandal:10» Sukta:152» Mantra:1 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:10» Mantra:1 | Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:1


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BRAHMAMUNI

इस सूक्त में परमात्मा सच्चा शासक, उसका उपासक किसी से मारा या जीता नहीं जा सकता, सुखदाता है, एवं प्रजारक्षक राजा सच्चा शासक है, उसका सङ्गी मारा या जीता नहीं जाता है, शत्रु को परास्त कर उसका धन अपनी प्रजा में बाँट देता है इत्यादि विषय हैं।

Word-Meaning: - (इत्था) सत्य (महान् शासः) महान् शासक परमात्मन् या राजन् ! तू (असि) है, क्योंकि (अद्भुतः) अभूतपूर्व (अमित्रखादः) शत्रुनाशक है (यस्य सखा) तू ऐसा है, जिसका उपासक या साथी (कदाचन न हन्यते) किसी से कभी मारा नहीं जाता है (न जीयते) न जीता जा सकता है ॥१॥
Connotation: - यह बात सत्य है कि परमात्मा महान् शासक है और उपासक के कामादि शत्रुओं का नाशक है तथा परमात्मा का जो मित्र-उपासक है, वह अन्यथा हनन को प्राप्त नहीं होता, पूर्ण आयु को भोगता है, न कामादि से परास्त होता अर्थात् कामादि उसे दबा नहीं सकते, यह भी सत्य है कि जो प्रजाहितैषी राजा होता है, उसका सहयोगी कभी मार नहीं खा सकता है और न जीता जा सकता है ॥१॥
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BRAHMAMUNI

अस्मिन् सूक्ते परमात्मा खलु सत्यशासकस्तस्योपासकः केनापि न हन्यते जीयते च सर्वसुखदाताऽपि, एवं प्रजारक्षको राजा सत्यशासको भवति तस्य सङ्गी न हन्यते जीयते च शत्रुं परास्त्य तद्धनं स्वप्रजासु वितरति। 

Word-Meaning: - (इत्था) सत्यं खलु “इत्था सत्यनाम” [निघ० ३।१०] (महान् शासः-असि) महान् शासकस्त्वं परमात्मन् ! राजन् ! वा, असि, यतः (अद्भुतः-अमित्रखादः) अभूतोऽपूर्वः शत्रुनाशकः (यस्य सखा कदाचन न हन्यते न जीयते) यस्य सखा-उपासकः सहयोगी वा कदाचित् खलु न केनापि हन्यते न चान्येन जेतुं शक्यते ॥१॥