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ये न॒: पूर्वे॑ पि॒तर॑: सो॒म्यासो॑ऽनूहि॒रे सो॑मपी॒थं वसि॑ष्ठाः । तेभि॑र्य॒मः सं॑ररा॒णो ह॒वींष्यु॒शन्नु॒शद्भि॑: प्रतिका॒मम॑त्तु ॥

English Transliteration

ye naḥ pūrve pitaraḥ somyāso nūhire somapīthaṁ vasiṣṭhāḥ | tebhir yamaḥ saṁrarāṇo havīṁṣy uśann uśadbhiḥ pratikāmam attu ||

Pad Path

ये । नः॒ । पूर्वे॑ । पि॒तरः॑ । सो॒म्यासः॑ । अ॒नु॒ऽऊ॒हि॒रे । सो॒म॒ऽपी॒थम् । वसि॑ष्ठाः । तेभिः॑ । य॒मः । स॒म्ऽर॒रा॒णः । ह॒वींषि॑ । उ॒शन् । ए॒शत्ऽभिः॑ । प्र॒ति॒ऽका॒मम् । अ॒त्तु॒ ॥ १०.१५.८

Rigveda » Mandal:10» Sukta:15» Mantra:8 | Ashtak:7» Adhyay:6» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:10» Anuvak:1» Mantra:8


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ये पूर्वे सोम्यासः पितरः सोमपीथं वसिष्ठाः-नः-अनूहिरे) जो पूर्वकालीन सूर्योदय के साथ ही उदय होनेवाली वसन्त ऋतु के तुल्य रससम्पादन करनेवाली किरणें सूर्य का अत्यन्त आश्रय लेनेवाली हम को कार्यों में प्रेरित करती हैं (तेभिः-उषद्भिः-संरराणः-यमः-उशन् हवींषि प्रतिकामम्-अत्तु) उन देदीप्यमान रश्मियों के साथ सम्यक् रम्यमाण सूर्य तेज से देदीप्यमान होता हुआ अग्नि में डाली हुई हवियों का हमारी इच्छाओं की पूर्ति के लिये ग्रहण करता है ॥८॥
Connotation: - प्रातःकाल की सूर्यरश्मियाँ यज्ञ में उपयुक्त हुई-हुई हमारे अन्दर कार्य-कुशलता की प्रेरणा करती हैं और उदयकाल का सूर्य भी हमारी मानस प्रसन्नता और शारीरिक सुखजीवनी का हेतु बनता है ॥८॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ये पूर्वे सोम्यासः पितरः सोमपीथं वसिष्ठाः नः-अनूहिरे) ये पूर्वे प्रातस्तनाः सूर्योदयकालप्रमाणाः सोमसम्पादिनो रससम्पादिनः-वसन्तर्तुवत् सूर्यरश्मयः सोमस्य पीथं रसस्य पातारं सूर्यं वसिष्ठाः-वस्तृतमाः-अस्माननूहन्तेऽनुवितर्कयन्ति कार्येषु प्रेरयन्ति “यद्वै नु श्रेष्ठस्तेन वसिष्ठोऽथो यद्वस्तृतमो वसति ते नो एव वसिष्ठाः” [श०८।१।१६] (तेभिः-उषद्भिः-संरराणः-यमः-उशन् हवींषि प्रतिकामम्-अत्तु) तैर्दीप्यमानै रश्मिभिः संरममाणो यमः-सूर्यः “यमो रश्मिभिरादित्यः” [निरु०१२।२९] दीप्यमानो हवींष्यग्नौ प्रक्षिप्तानि हव्यानि वस्तूनि-अस्मत्कामनानुसारमत्तु गृह्वातु-गृह्वाति ॥८॥