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उप॑ तेऽधां॒ सह॑मानाम॒भि त्वा॑धां॒ सही॑यसा । मामनु॒ प्र ते॒ मनो॑ व॒त्सं गौरि॑व धावतु प॒था वारि॑व धावतु ॥

English Transliteration

upa te dhāṁ sahamānām abhi tvādhāṁ sahīyasā | mām anu pra te mano vatsaṁ gaur iva dhāvatu pathā vār iva dhāvatu ||

Pad Path

उप॑ । ते॒ । अ॒धा॒म् । सह॑मानाम् । अ॒भि । त्वा॒ । अ॒धा॒म् । सही॑यसा । माम् । अनु॑ । प्र । ते॒ । मनः॑ । व॒त्सम् । गौःऽइ॑व । धा॒व॒तु॒ । प॒था । वाःऽइ॑व । धा॒व॒तु॒ ॥ १०.१४५.६

Rigveda » Mandal:10» Sukta:145» Mantra:6 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:6 | Mandal:10» Anuvak:11» Mantra:6


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ते) हे अध्यात्मप्रिय जन ! तेरे लिये (सहमानाम्) कामवासना को दबानेवाली सोम ओषधि को (उप-अधाम्) सहाय्यरूप से समर्पित करती हूँ पीने के लिये (त्वा) तुझे (सहीयसा) बलवान् सोम से (अभि अधाम्) अभिधारण करती हूँ, मैं उपनिषद् अध्यात्मविद्या अपने में धारण करती हूँ। (ते मनः) तेरा मन (माम्-अनु प्र धावतु) मुझे अनुसरण करता हुआ प्रगति करे (गौः-इव वत्सम्) जैसे गौ बछड़े को अनुसरण कर चलती है (वाः यथा धावतु) जल नीचे मार्ग से बहता है तथा मुझ उपनिषद्-अध्यात्मविद्या का अनुसरण कर ॥६॥
Connotation: - अध्यात्मविद्या का सहायक सोम ओषधि है, उसे भी अध्यात्मप्रेमी सेवन करे, अध्यात्मविद्या के प्रति अनुराग ऐसा होना चाहिए, जैसे गौ का बछड़े के प्रति, जैसे जल निम्न मार्ग के प्रति बह जाता है ॥६॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ते) हे-अध्यात्मप्रिय जन ! तुभ्यं (सहमानाम्-उप-अधाम्) कामवासनाया-अभिभवित्रीं सोमौषधिमुपदधामि सहाय्यरूपेण समर्पयामि पानार्थं (त्वा) त्वां (सहीयसा-अभि अधाम्) बलवता सोमेन-अभिधारयामि-उपनिषदि खल्वध्यात्मविद्यायां स्वस्यां धारयामि (ते मनः) तव मनः (माम्-अनु प्र धावतु) मामनुसरन् प्रगच्छतु (गौः-इव वत्सम्) यथा गौर्वत्समनुप्रगच्छति (वाः-पथा धावतु) यथा जलं निम्नमार्गेण प्रगच्छति तथा मामुपनिषद-मध्यात्मविद्यां प्रगच्छ ॥६॥