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इ॒यं विसृ॑ष्टि॒र्यत॑ आब॒भूव॒ यदि॑ वा द॒धे यदि॑ वा॒ न । यो अ॒स्याध्य॑क्षः पर॒मे व्यो॑म॒न्त्सो अ॒ङ्ग वे॑द॒ यदि॑ वा॒ न वेद॑ ॥

English Transliteration

iyaṁ visṛṣṭir yata ābabhūva yadi vā dadhe yadi vā na | yo asyādhyakṣaḥ parame vyoman so aṅga veda yadi vā na veda ||

Pad Path

इ॒यम् । विऽसृ॑ष्टिः । यतः॑ । आ॒ऽब॒भूव॑ । यदि॑ । वा॒ । द॒धे । यदि॑ । वा॒ । न । यः । अ॒स्य॒ । अधि॑ऽअक्षः । प॒र॒मे । विऽओ॑मन् । सः । अ॒ङ्ग । वे॒द॒ । यदि॑ । वा॒ । न । वेद॑ ॥ १०.१२९.७

Rigveda » Mandal:10» Sukta:129» Mantra:7 | Ashtak:8» Adhyay:7» Varga:17» Mantra:7 | Mandal:10» Anuvak:11» Mantra:7


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (इयं विसृष्टिः) यह विविध सृष्टि (यतः-आबभूव) जिस उपादान से उत्पन्न हुई है (अस्य यः-अध्यक्षः) इस उपादान का जो अध्यक्ष है (परमे व्योमन्) महान् आकाश में वर्त्तमान है (अङ्ग) हे जिज्ञासु ! (सः) वह परमात्मा (यदि वा दधे) यदि तो चाहे तो न धारण करे अर्थात् संहार कर दे (यदि वेद) यदि उपादान कारण को जाने, अपने विज्ञान में लक्षित करे, सृष्टिरूप में परिणत करे (यदि वा न वेद) यदि न जाने-स्वज्ञान में लक्षित न करे सृष्टिरूप में परिणत न करे, इस प्रकार सृष्टि और प्रलय उस परमात्मा के अधीन हैं ॥७॥
Connotation: - यह विविध सृष्टि जिस उपादान-कारण से उत्पन्न होती है, उस उपादान कारण अव्यक्त प्रकृति का वह परमात्मा स्वामी-अध्यक्ष है, वह उससे सृष्टि को उत्पन्न करता है और उसका संहार भी करता है। प्रकृति को जब लक्ष्य करता है, तो उसे सृष्टि के रूप में ले आता है, नहीं लक्ष्य करता है, तो प्रलय बनी रहती है, इस प्रकार सृष्टि और प्रलय परमात्मा के अधीन हैं ॥७॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (इयं विसृष्टिः-यतः-आबभूव) एषा विविधा सृष्टिर्यत उपादानात् प्रादुर्भूता (अस्य यः-अध्यक्षः परमे व्योमन्) अस्योपादानस्य योऽध्यक्षः महति खल्वाकाशे वर्त्तते (अङ्ग) हे जिज्ञासो ! (सः) सोऽध्यक्षः परमात्मा (यदि वा दधे यदि वा न) यदि च सृष्टिं धारयेत् सृष्टिरूपे यदि च न धारयेत् सृष्टिरूपे-संहरेत् (यदि वेद यदि वा न वेद) यदि चोपादानकारणं जानीयात् स्वज्ञाने लक्षयेत् सृष्टिरूपे परिणयेत्, यदि च न जानीयात् स्वज्ञाने न लक्षयेत् सृष्टिरूपे न परिणयेत्-एवं सृष्टिप्रलयौ तस्य परमात्मनोऽधीनौ स्तः ॥७॥