Go To Mantra

गृ॒हो या॒म्यरं॑कृतो दे॒वेभ्यो॑ हव्य॒वाह॑नः । कु॒वित्सोम॒स्यापा॒मिति॑ ॥

English Transliteration

gṛho yāmy araṁkṛto devebhyo havyavāhanaḥ | kuvit somasyāpām iti ||

Pad Path

गृ॒हः । या॒मि॒ । अर॑म्ऽकृतः । दे॒वेभ्यः॑ । ह॒व्य॒ऽवाह॑नः । कु॒वित् । सोम॑स्य । अपा॑म् । इति॑ ॥ १०.११९.१३

Rigveda » Mandal:10» Sukta:119» Mantra:13 | Ashtak:8» Adhyay:6» Varga:27» Mantra:7 | Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:13


Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (देवेभ्यः) इन्दियों के लिये (हव्यवाहनः) उसके ग्राह्यभाग का प्राप्त करानेवाला मैं आत्मा (अरङ्कृतः) सामर्थ्ययुक्त हुआ (गृहः) अनुग्रहकर्त्ता (यामि) प्राप्त होता हूँ ॥१३॥
Connotation: - परमात्मा के आनन्दरस का बहुत पान कर चुकनेवाला ऊँची-ऊँची भूमियों को प्राप्त होता हुआ मोक्ष के दीर्घ जीवन को भोगकर पुनः शरीर में देह में इन्द्रियों के भोगों को प्राप्त कराने के लिये सामर्थ्ययुक्त हुआ फिर देह में आता है-पुनर्जन्म धारण करता है, मुक्ति से पुनरावृत्त होता है ॥१३॥
Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (देवेभ्यः-हव्यवाहनः) इन्द्रियेभ्यः-ततद्ग्राह्यस्य प्रापयिताऽहमात्मा (अरं कृतः-गृहः यामि) अलङ्कृतः सामर्थ्योपेतः-गृहः-अनुग्रहकर्त्ता प्राप्तो भवामि ॥१३॥