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अदा॑भ्येन शो॒चिषाग्ने॒ रक्ष॒स्त्वं द॑ह । गो॒पा ऋ॒तस्य॑ दीदिहि ॥

English Transliteration

adābhyena śociṣāgne rakṣas tvaṁ daha | gopā ṛtasya dīdihi ||

Pad Path

अदा॑भ्येन । शो॒चिषा॑ । अग्ने॑ । रक्षः॑ । त्वम् । द॒ह॒ । गो॒पाः । ऋ॒तस्य॑ । दी॒दि॒हि॒ ॥ १०.११८.७

Rigveda » Mandal:10» Sukta:118» Mantra:7 | Ashtak:8» Adhyay:6» Varga:25» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:7


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अग्ने) हे परमात्मन् ! या-भौतिक अग्नि ! (अदाभ्येन) अपने अहिंसनीय (शोचिषा) तेज से (त्वं रक्षः) तू दुष्टजन या रोग को (दह) दग्ध कर (गोपाः) तू रक्षक होता हुआ (ऋतस्य) अध्यात्मयज्ञ या होमयज्ञ को (दीदिहि) प्रकाशित कर ॥६॥
Connotation: - परमात्मा रक्षक है, दुष्टजन को अपने प्रबल तेज से दग्ध कर देता है और अध्यात्मयज्ञ को प्रकाशित करता है एवं अग्नि अपने प्रबल ताप से रोग को दग्ध कर देती है जब कि वह होमयज्ञ को प्रकाशित करती है ॥७॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अग्ने) हे परमात्मन् ! भौतिकाग्ने ! वा (अदाभ्येन शोचिषा) स्वकीयेनाहिंसनीयेन तेजसा (त्वं रक्षः-दह) त्वं रक्षन्ति यस्मात् तं दुष्टजनं रोगं वा दग्धं कुरु (गोपाः-ऋतस्य-दीदिहि) रक्षकः सन् “ऋतम् द्वितीयार्थे षष्ठी छान्दसी” अध्यात्मयज्ञं होमयज्ञं वा प्रकाशय ॥७॥