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स॒मौ चि॒द्धस्तौ॒ न स॒मं वि॑विष्टः सम्मा॒तरा॑ चि॒न्न स॒मं दु॑हाते । य॒मयो॑श्चि॒न्न स॒मा वी॒र्या॑णि ज्ञा॒ती चि॒त्सन्तौ॒ न स॒मं पृ॑णीतः ॥

English Transliteration

samau cid dhastau na samaṁ viviṣṭaḥ sammātarā cin na samaṁ duhāte | yamayoś cin na samā vīryāṇi jñātī cit santau na samam pṛṇītaḥ ||

Pad Path

स॒मौ । चि॒त् । हस्तौ॑ । न । स॒मम् । वि॒वि॒ष्टः । स॒म्ऽमा॒तरा॑ । चि॒त् । न । स॒मम् । दु॒हा॒ते॒ इति॑ । य॒मयोः॑ । चि॒त् । न । स॒मा । वी॒र्या॑णि । ज्ञा॒ती इति॑ । चि॒त् । सन्तौ॑ । न । स॒मम् । पृ॒णी॒तः॒ ॥ १०.११७.९

Rigveda » Mandal:10» Sukta:117» Mantra:9 | Ashtak:8» Adhyay:6» Varga:23» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:10» Mantra:9


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (समौ चित्) समान भी (हस्तौ) दोनों हाथ (समं न) किसी कार्य में समान नहीं (विविष्टः) प्रवेश करते हैं (सम्मातरा चित्) बच्चे का निर्माण करनेवाली पालन करनेवाली धायें भी (समं न) समान नहीं (दुहाते) दूध पिलाती हैं (यमयोः-चित्) सहजात दोनों मनुष्यों को भी (वीर्याणि) बल-पराक्रम (समा न) समान नहीं होते (ज्ञाती चित्) एक वंशवाले भी (सन्तौ) होते हुए (समं न) समान नहीं (पृणीतः) अपने अन्न धनादि से दूसरे को तृप्त करते हैं, दान में स्पर्धा या तुलना नहीं करना चाहिये, यह श्रद्धा से देना होता है-देना चाहिये ॥९॥
Connotation: - मनुष्य के हाथ समान हैं, पर किसी कार्य में समान प्रवेश नहीं करते। बालक को पालनेवाली दो धाइयाँ बालक को समान दूध नहीं पिलाती, माता से उत्पन्न हुए जुडवाँ दो मनुष्यों के समान बल नहीं होते। वंशवाले दो बड़े मनुष्य अपने अन्न धनादि से किसी अधिकारी को समानरूप से तृप्त नहीं करते हैं, इसलिये दान को स्पर्धा या तुलना पर न छोड़ना चाहिये, किन्तु श्रद्धा से देना ही चाहिये ॥९॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (समौ चित्-हस्तौ समं न विविष्टः) समानावपि हस्तौ कार्ये न समानं प्रवेश कुरुतः (सं मातरा चित्-न समं दुहाते) शिशोर्निर्माणकर्त्र्यो द्वौ धात्र्यौ  समानं दुग्धं न पाययतः (यमयोः-चित्-न समा वीर्याणि) सहजातयोर्मनुष्ययोर्न समानि बलानि भवन्ति (ज्ञाती चित् सन्तौ न समं पृणीतः) एकवंशकौ पुरुषावपि धनादिना समानं न तर्पयतः दाने न स्पर्धा तुलना वा कार्या दानं तु स्वश्रद्धया देयम्-दातव्यमेव ॥९॥