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अधि॒ यस्त॒स्थौ केश॑वन्ता॒ व्यच॑स्वन्ता॒ न पु॒ष्ट्यै । व॒नोति॒ शिप्रा॑भ्यां शि॒प्रिणी॑वान् ॥

English Transliteration

adhi yas tasthau keśavantā vyacasvantā na puṣṭyai | vanoti śiprābhyāṁ śipriṇīvān ||

Pad Path

अधि॑ । यः । त॒स्थौ । केष॑ऽवन्ता । व्यच॑स्वन्ता । न । पु॒ष्ट्यै । व॒नोति॑ । शिप्रा॑भ्याम् । शि॒प्रिणी॑ऽवान् ॥ १०.१०५.५

Rigveda » Mandal:10» Sukta:105» Mantra:5 | Ashtak:8» Adhyay:5» Varga:26» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:9» Mantra:5


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (यः) जो परमात्मा (व्यचस्वन्ता) व्यक्तीकरण धर्मवाले (केशवन्ता-न) रश्मिवाले सूर्य चन्द्रमा के समान अपने उत्पादन धारण धर्मों को (अधितस्थौ) अधिष्ठित है (पुष्ट्यै) संसारपोषण के लिए (शिप्राभ्याम्) उन व्यापनशीलों से (शिप्रिणीवान्) व्यापी शक्तिवाला संसार में व्याप्त है ॥५॥
Connotation: - जैसे सूर्य और चन्द्रमा प्रकाशवाले पदार्थ वस्तुओं को व्यक्त करते हैं, ऐसे ही परमात्मा के उत्पादन और धारण धर्म संसार को प्रकट करने में निमित्त हैं, परमात्मा व्यापन शक्तिवाला इन दो व्यापन धर्मों को संसार की वृद्धि के लिए अधिकृत कर रहा है ॥५॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (यः) यः खलु परमात्मा (व्यचस्वन्ता-केशवन्ता-न) व्यक्तिकरण-धर्मवन्तौ रश्मिवन्तौ सूर्याचन्द्रमसाविव-उत्पादनधारणधर्मौ (अधितस्थौ) अधितिष्ठति (पुष्ट्यै) संसारपोषणाय (शिप्राभ्याम्-शिप्रिणीवान्) ताभ्यां व्यापनशीलाभ्यां व्यापिनीशक्तिमान् संसारं व्याप्नोति ॥५॥