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श्रि॒ये ते॒ पृश्नि॑रुप॒सेच॑नी भूच्छ्रि॒ये दर्वि॑ररे॒पाः । यया॒ स्वे पात्रे॑ सि॒ञ्चस॒ उत् ॥

English Transliteration

śriye te pṛśnir upasecanī bhūc chriye darvir arepāḥ | yayā sve pātre siñcasa ut ||

Pad Path

श्रि॒ये । ते॒ । पृश्निः॑ । उ॒प॒ऽसेच॑नी । भू॒त् । श्रि॒ये । दर्विः॑ । अ॒रे॒पाः । यया॑ । स्वे । पात्रे॑ । सि॒ञ्चसे॑ । उत् ॥ १०.१०५.१०

Rigveda » Mandal:10» Sukta:105» Mantra:10 | Ashtak:8» Adhyay:5» Varga:27» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:9» Mantra:10


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ते) हे परमात्मन् ! तेरी (श्रिये) समृद्धि के लिए-समृद्धि को दर्शानेवाला (पृश्निः-उपसेचनी-अभूत्) उपसेचन करनेवाला-जल बरसानेवाला मेघयुक्त द्युलोक है (अरेपाः-दर्विः) निर्मल दोषरहित दारणीय-कृषि करने के लिए पृथिवी है (श्रिये) समृद्धि के लिए-समृद्धिसूचक है, (यया) जिसके द्वारा (स्वपात्रे) स्वकीय पात्रभूत पृथिवी पर (उत् सिञ्चसे) अवश्य सींचता है ॥१०॥
Connotation: - परमात्मा ने संसार की समृद्धि के लिए समृद्ध करनेवाला जलवर्षक मेघयुक्त द्युलोक को बनाया तथा कृषि करने के लिए विदीर्ण करने योग्य जलसिञ्चन के पात्रभूत तथा लोकसमृद्धि के लिए पृथिवी को सींचता है, उसको मानना चाहिये, गुणगान करना चाहिये ॥१०॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ते) हे परमात्मन् ! तव (श्रिये) समृद्धये समृद्धिदर्शिका (पृश्निः-उपसेचनी-अभूत्) उपसेचनकर्त्रीर्द्यौः-मेघान्विता जलवर्षिणी खल्वस्ति (अरेपाः-दर्विः-श्रिये) निर्मलाऽदोषा दारणीया कृषिकरणाय पृथिवी-समृद्धये तव समृद्धिसूचिकाऽस्ति (यया स्वे पात्रे सिञ्चसे उत्) यया स्वकीयपात्रभूतायां पृथिव्यामुपरि सिञ्चसि ॥१०॥