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प्रेता॒ जय॑ता नर॒ इन्द्रो॑ व॒: शर्म॑ यच्छतु । उ॒ग्रा व॑: सन्तु बा॒हवो॑ऽनाधृ॒ष्या यथास॑थ ॥

English Transliteration

pretā jayatā nara indro vaḥ śarma yacchatu | ugrā vaḥ santu bāhavo nādhṛṣyā yathāsatha ||

Pad Path

प्र । इ॒त॒ । जय॑त । न॒रः॒ । इन्द्रः॑ । वः॒ । शर्म॑ । य॒च्छ॒तु॒ । उ॒ग्राः । वः॒ । स॒न्तु॒ । बा॒हवः॑ । अ॒ना॒धृ॒ष्याः । यथा॑ । अस॑थ ॥ १०.१०३.१३

Rigveda » Mandal:10» Sukta:103» Mantra:13 | Ashtak:8» Adhyay:5» Varga:23» Mantra:7 | Mandal:10» Anuvak:9» Mantra:13


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (नरः) हे सेनानायको ! (प्र इत) युद्ध के लिये प्रगति करो-प्रकृष्टरूप से जाओ (जयत) जय प्राप्त करो (वः) तुम्हारे लिये (इन्द्र) राजा (शर्म यच्छतु) सुख प्रदान करे-प्रदान करता है-प्रदान करेगा (वः) तुम्हारी (बाहवः) भुजाएँ (उग्राः सन्तु) ऊँचे बलवाली होवें-हैं तथा (अनाधृष्याः) अन्य द्वारा अधर्षणीय और अशिथिल तुम वीर होवो ॥१३॥
Connotation: - सैनिक जनों को युद्ध के लिए जाने में कोई सङ्कोच नहीं करना चाहिये, किन्तु जाकर विजय पाना चाहिये। सैनिकों की भुजाएँ बलवाली हों और शत्रुओं से वे दबाने जानेवाले-हराये जानेवाले न बनें, राजा को शासक को उनके लिए सब प्रकार के सुख की व्यवस्था करनी चाहिये ॥१३॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (नरः) हे सेनानायकाः ! (प्र इत) युद्धाय प्रगच्छत (जयत) जयं प्राप्नुत (वः) युष्मभ्यं (इन्द्रः) राजा (शर्म यच्छतु) सुखं प्रयच्छति प्रददाति प्रदास्यति वा (वः-बाहवः-उग्राः सन्तु) युष्माकं बाहव उद्गूर्णबलवन्तः सन्ति तथा (अनाधृष्याः) अन्येनाधर्षणीयाः-यथा हि यूयं वीरा भवथ ॥१३॥