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यो अ॒ग्नीषोमा॑ ह॒विषा॑ सप॒र्याद्दे॑व॒द्रीचा॒ मन॑सा॒ यो घृ॒तेन॑। तस्य॑ व्र॒तं र॑क्षतं पा॒तमंह॑सो वि॒शे जना॑य॒ महि॒ शर्म॑ यच्छतम् ॥

English Transliteration

yo agnīṣomā haviṣā saparyād devadrīcā manasā yo ghṛtena | tasya vrataṁ rakṣatam pātam aṁhaso viśe janāya mahi śarma yacchatam ||

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Pad Path

यः। अ॒ग्नीषोमा॑। ह॒विषा॑। स॒प॒र्यात्। दे॒व॒द्रीचा॑। मन॑सा। यः। घृ॒तेन॑। तस्य॑। व्र॒तम्। र॒क्ष॒त॒म्। पा॒तम्। अंह॑सः। वि॒शे। जना॑य। महि॑। शर्म॑। य॒च्छ॒त॒म् ॥ १.९३.८

Rigveda » Mandal:1» Sukta:93» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:29» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

ऐसे उत्तमता से काम में लाये हुए ये दोनों क्या करते हैं, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (यः) जो विद्वान् मनुष्य (देवद्रीचा) उत्तम विद्वानों का सत्कार करते हुए (मनसा) मन से वा (घृतेन) घी और जल तथा (हविषा) अच्छे संस्कार किये हुए हवि से (अग्निषोमा) वायु और अग्नि को (सपर्यात्) सेवे और (यः) जो क्रिया करनेवाला मनुष्य इनके गुणों को जाने (तस्य) उन दोनों के (व्रतम्) सत्यभाषण आदि शील की ये दोनों (रक्षतम्) रक्षा करते (अंहसः) क्षुधा और ज्वर आदि रोग से (पातम्) नष्ट होने से बचाते (विशे) प्रजा और (जनाय) सेवक जन के लिये (महि) अत्यन्त प्रशंसा करने योग्य (शर्म्म) सुख वा घर को (यच्छतम्) देते हैं ॥ ८ ॥
Connotation: - जो मनुष्य अग्निहोत्र आदि काम से वायु और वर्षा की शुद्धि द्वारा सब वस्तुओं को पवित्र करता है, वह सब प्राणियों को सुख देता है ॥ ८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

एवमेतौ संप्रयुक्तौ किं कुरुत इत्युपदिश्यते ।

Anvay:

यो देवद्रीचा मनसा घृतेन हविषाऽग्नीषोमा सपर्याद्यश्चैतद्गुणान् विजानीयात् तस्य द्वयस्य व्रतमिमौ रक्षतमंहसः पातं विशे जनाय महि शर्म यच्छतम् ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (यः) विद्वान् मनुष्यः (अग्नीषोमा) वाय्वग्नी (हविषा) सुसंस्कृतेन हविषा शोधितौ (सपर्यात्) सेवेत (देवद्रीचा) देवान्विदुषोऽञ्चता सत्कारिणा। विष्वग्देवयोश्च टेरद्र्यञ्चतौ वप्रत्यये। अ० ६। ३। ९२। अनेन देवशब्दस्य टेरद्रिरादेशः। (मनसा) स्वान्तेन (यः) क्रियाकारी मानवः (घृतेन) आज्येनोदकेन वा (तस्य) (व्रतम्) सत्यभाषणादिशीलम् (रक्षतम्) रक्षतः (पातम्) पालयतः (अंहसः) क्षुज्ज्वरादिरोगात् (विशे) प्रजायै (जनाय) सेवकाय जीवाय (महि) महत्तमं पूजनीयम् (शर्म) सुखं गृहं वा (यच्छतम्) दत्तः ॥ ८ ॥
Connotation: - यो मनुष्योऽग्निहोत्रादिकर्मणा वायुवृष्टिजलशुद्धिद्वारा पदार्थान् पवित्रयति स प्राणिनः सुखयति ॥ ८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जो माणूस अग्निहोत्र इत्यादी कार्य करून वायू व वृष्टीच्या शुद्धीद्वारे सर्व वस्तूंना पवित्र करतो तो सर्व प्राण्यांना सुख देतो. ॥ ८ ॥