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यु॒वमे॒तानि॑ दि॒वि रो॑च॒नान्य॒ग्निश्च॑ सोम॒ सक्र॑तू अधत्तम्। यु॒वं सिन्धूँ॑र॒भिश॑स्तेरव॒द्यादग्नी॑षोमा॒वमु॑ञ्चतं गृभी॒तान् ॥

English Transliteration

yuvam etāni divi rocanāny agniś ca soma sakratū adhattam | yuvaṁ sindhūm̐r abhiśaster avadyād agnīṣomāv amuñcataṁ gṛbhītān ||

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Pad Path

यु॒वम्। ए॒तानि॑। दि॒वि। रो॒च॒नानि॑। अ॒ग्निः। च॒। सो॒म॒। सक्र॑तू॒ इति॒ सऽक्र॑तू। अ॒ध॒त्त॒म्। यु॒वम्। सिन्धू॑न्। अ॒भिऽश॑स्तेः। अ॒व॒द्यात्। अग्नी॑षोमौ। अमु॑ञ्चतम्। गृ॒भी॒तान् ॥ १.९३.५

Rigveda » Mandal:1» Sukta:93» Mantra:5 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:28» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कैसे हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (युवम्) ये (सक्रतू) एकसा काम देनेवाले दो अर्थात् (अग्निः) बिजुली (च) और (सोम) बहुत सुख को उत्पन्न करनेहारा पवन (दिवि) तारागण में जो (रोचनानि) प्रकाश है (एतानि) इनको (अधत्तम्) धारण करते हैं (युवम्) ये दोनों (सिन्धूम्) समुद्रों को धारण करते अर्थात् उनके जल को सोखते हैं उन (गृभीतान्) सोखे हुए नदी, नद समुद्रों को वे (अग्नीषोमा) बिजुली और पवन (अवद्यात्) निन्दित (अभिशस्तेः) उनके प्रवाहरूप रमण को रोकनेहारे हेतु से (अमुञ्चतम्) छोड़ते हैं अर्थात् वर्षा के निमित्त से उनके लिये हुए जल को पृथिवी पर छोड़ते हैं ॥ ५ ॥
Connotation: - मनुष्यों को जानना चाहिये कि पवन और बिजुली ये ही दोनों सबलोकों के सुख के धारण आदि व्यवहार के कारण हैं ॥ ५ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तौ कीदृशावित्युपदिश्यते ।

Anvay:

युवमेतौ सक्रतू अग्निः सोम च सोमश्च यानि दिवि रोचनानि तारासमूहे प्रकाशनानि सन्त्येतान्यधत्तं धरतः युवं यौ सिन्धूनधत्तं तान् गृभीतान्सिंधूस्तावग्नीषोमाववद्यादभिशस्तेर्गर्ह्यादभितो रमणनिरोधकाद्धेतोरमुञ्चतं वर्षणनिमित्तेन तद्गृहीतमम्भः पृथिव्यां पातयतमिति यावत् ॥ ५ ॥

Word-Meaning: - (युवम्) एतौ (एतानि) प्रत्यक्षाणि (दिवि) सूर्यप्रकाशे (रोचनानि) तेजांसि (अग्निः) विद्युत् (च) सर्वेषां लोकानां समुच्चये (सोम) बहुसुखप्रसावको वायुः (सक्रतू) समानक्रियौ (अधत्तम्) धत्तो धारयतः (युवम्) एतौ (सिन्धून्) समुद्रादीन् (अभिशस्तेः) अभितो हिंसकात् (अवद्यात्) निन्दितात् (अग्नीषोमौ) (अमुञ्चतम्) मुञ्चतो मोचयतो वा (गृभीतान्) गृहीतान् लोकान्। अत्र गृहधातोर्हस्य भादेशः ॥ ५ ॥
Connotation: - मनुष्यैर्वायुविद्युतावेव सर्वलोकसुखधारणादिव्यवहारे हेतू भवत इति बोध्यम् ॥ ५ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी हे जाणले पाहिजे की वायू व विद्युत हे दोन्ही सर्व लोकांच्या सुखाचे धारण इत्यादी व्यवहाराचे कारण असतात. ॥ ५ ॥