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यावि॒त्था श्लोक॒मा दि॒वो ज्योति॒र्जना॑य च॒क्रथु॑:। आ न॒ ऊर्जं॑ वहतमश्विना यु॒वम् ॥

English Transliteration

yāv itthā ślokam ā divo jyotir janāya cakrathuḥ | ā na ūrjaṁ vahatam aśvinā yuvam ||

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Pad Path

यौ। इ॒त्था। श्लोक॑म्। आ। दि॒वः। ज्योतिः॑। जना॑य। च॒क्रथुः॑। आ। नः॒। ऊर्ज॑म्। व॒ह॒त॒म्। अ॒श्वि॒ना॒। यु॒वम् ॥ १.९२.१७

Rigveda » Mandal:1» Sukta:92» Mantra:17 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:27» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कैसे हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे शिल्पविद्या के पढ़ाने और उपदेश करनेहारे विद्वानो ! (युवम्) तुम लोग जो (अश्विना) अग्नि और वायु (जनाय) मनुष्य समूह के लिये (दिवः) सूर्य्य के (ज्योतिः) प्रकाश को (आ, चक्रथुः) अच्छे प्रकार सिद्ध करते हैं (इत्था) इसलिये (नः) हम लोगों के लिये (श्लोकम्) उत्तम वाणी और (ऊर्जम्) पराक्रम वा अन्नादि पदार्थों को (आ, वहतम्) सब प्रकार से प्राप्त कराओ ॥ १७ ॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि पवन और बिजुली के विना सूर्य का प्रकाश नहीं होता और उन दोनों ही के विद्या और उपकार के विना किसी की विद्यासिद्धि होती है, ऐसा जानें ॥ १७ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तौ कीदृशावित्युपदिश्यते ।

Anvay:

हे शिल्पविद्याध्यापकोपदेशकौ युवं यावश्विनाऽश्विनावित्था जनाय दिवो ज्योतिराचक्रथुः समन्तात्कुरुतस्ताभ्यां नोऽस्मभ्यं श्लोकमूर्जं चावहतम् ॥ १७ ॥

Word-Meaning: - (यौ) (इत्था) इत्थमस्मै हेतवे (श्लोकम्) उत्तमां वाणीम् (आ) समन्तात् (दिवः) सूर्यात् (ज्योतिः) प्रकाशम् (जनाय) जनसमूहाय (चक्रथुः) कुरुतः (आ) सर्वतः (नः) अस्मभ्यम् (ऊर्जम्) पराक्रममन्नादिकं वा (वहतम्) प्रापयतम् (अश्विना) अश्विनावग्निवायू (युवम्) युवाम् ॥ १७ ॥
Connotation: - मनुष्यैर्नहि वायुविद्युद्भ्यां विना सूर्यज्योतिर्जायते न किल तयोर्विद्योपकाराभ्यां विना कस्यचिद्विद्यासिद्धिर्जायत इति वेदितव्यम् ॥ १७ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - वायू व विद्युतशिवाय सूर्याचा प्रकाश होत नाही. त्या दोन्हींंच्या विद्या व उपकारानेच विद्यासिद्धी होते, हे माणसांनी जाणावे. ॥ १७ ॥