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सोम॒ यास्ते॑ मयो॒भुव॑ ऊ॒तय॒: सन्ति॑ दा॒शुषे॑। ताभि॑र्नोऽवि॒ता भ॑व ॥

English Transliteration

soma yās te mayobhuva ūtayaḥ santi dāśuṣe | tābhir no vitā bhava ||

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Pad Path

सोम॑। याः। ते॒। म॒यः॒ऽभुवः॑। ऊ॒तयः॑। सन्ति॑। दा॒शुषे॑। ताभिः॑। नः॒। अ॒वि॒ता। भ॒व॒ ॥ १.९१.९

Rigveda » Mandal:1» Sukta:91» Mantra:9 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:20» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

वह किनसे रक्षा करता है, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (सोम) परमेश्वर ! (याः) जो (ते) आपकी वा सोम आदि ओषधिगण की (मयोभुवः) सुख को उत्पन्न करनेवाली (ऊतयः) रक्षा आदि क्रिया (दाशुषे) दानी मनुष्य के लिये (सन्ति) हैं (ताभिः) उनसे (नः) हमलोगों के (अविताः) रक्षा आदि के करनेवाले (भव) हूजिये वा जो यह ओषधिगण होता है, इनका उपयोग हम लोग सदा करें ॥ ९ ॥
Connotation: - जिन प्राणियों की परमेश्वर, विद्वान् और अच्छी सिद्ध की हुई ओषधि रक्षा करनेवाली होती हैं, वे कहाँ से दुःख देखें ॥ ९ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

स कं रक्षतीत्युपदिश्यते ।

Anvay:

हे सोम यास्ते तवास्य वा मयोभुव ऊतयो दाशुषे सन्ति ताभिर्नोऽस्माकमविता भव भवति वा ॥ ९ ॥

Word-Meaning: - (सोम) (याः) (ते) तव तस्य वा (मयोभुवः) सुखकारिका (ऊतयः) रक्षणादिकाः क्रियाः (सन्ति) भवन्ति (दाशुषे) दानशीलाय मनुष्याय (ताभिः) (नः) अस्माकं (अविता) रक्षणादिकर्त्ता (भव) भवति वा ॥ ९ ॥
Connotation: - येषां प्राणिनां परमेश्वरो विद्वांसः सुनिष्पादिता ओषधिसमूहाश्च रक्षका भवन्ति कुतस्ते दुःखं पश्येयुः ॥ ९ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या प्राण्यांचे रक्षण परमेश्वर, विद्वान व औषधांचे समूह करतात. त्यांना दुःख कसे भोगावे लागणार? ॥ ९ ॥