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उ॒रु॒ष्या णो॑ अ॒भिश॑स्ते॒: सोम॒ नि पा॒ह्यंह॑सः। सखा॑ सु॒शेव॑ एधि नः ॥

English Transliteration

uruṣyā ṇo abhiśasteḥ soma ni pāhy aṁhasaḥ | sakhā suśeva edhi naḥ ||

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Pad Path

उ॒रु॒ष्य। नः॒। अ॒भिऽश॑स्तेः। सोम॑। नि। पा॒हि॒। अंह॑सः। सखा॑। सु॒ऽशेवः॑। ए॒धि॒। नः॒ ॥ १.९१.१५

Rigveda » Mandal:1» Sukta:91» Mantra:15 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:21» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा है, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ।

Word-Meaning: - हे (सोम) रक्षा करने और (सुशेवः) उत्तम सुख देनेवाले (सखा) मित्र ! जो आप (अभिशस्तेः) सुखविनाश करनेवाले काम से (नः) हम लोगों को (उरुष्य) बचाओ वा (अंहसः) अविद्या तथा ज्वरादिरोग से हम लोगों की (नि) निरन्तर (पाहि) पालना करो और (नः) हम लोगों के सुख करनेवाले (एधि) होओ, वह आप हमको सत्कार करने योग्य क्यों न होवें ॥ १५ ॥
Connotation: - मनुष्यों को अच्छी प्रकार सेवा किया हुआ वैद्य, उत्तम विद्वान्, समस्त अविद्या आदि राजरोगों से अलग कर उनको आनन्दित करता है, इससे यह सदैव संगम करने योग्य है ॥ १५ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ।

Anvay:

हे सोम यः सुशेवः सखाऽभिशस्तेर्न उरुष्यांहसोऽस्मान्निपाहि नोऽस्माकं सुखकार्य्येधि भवसि सोऽस्माभिः कथं न सत्कर्त्तव्यः ॥ १५ ॥

Word-Meaning: - (उरुष्य) रक्ष। उरुष्यतीति रक्षतिकर्मा। निरु० ५। २३। अत्र ऋचि तुनु० इति दीर्घः। (नः) अस्मान् (अभिशस्तेः) सुखहिंसकात् (सोम) रक्षक (नि) नितराम् (पाहि) पालय (अंहसः) अविद्याज्वरादिरोगात् (सखा) मित्रः (सुशेवः) सुष्ठु सुखदः (एधि) भवसि (नः) अस्माकम् ॥ १५ ॥
Connotation: - मनुष्यैः सुसेवितः परमवैद्यो विद्वान् सर्वैभ्योऽविद्यादिरोगेभ्यः पृथक्कृत्यैतानानन्दयति तस्मात्स सदैव संगमनीयः ॥ १५ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - स्वीकारणीय वैद्य व उत्तम विद्वान संपूर्ण अविद्या इत्यादी रोगांपासून माणसांना वेगळे करून त्यांना आनंदित करतो. त्यामुळे सदैव त्यांचा संग करावा. ॥ १५ ॥