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यू॒यं तत्स॑त्यशवस आ॒विष्क॑र्त महित्व॒ना। विध्य॑ता वि॒द्युता॒ रक्षः॑ ॥

English Transliteration

yūyaṁ tat satyaśavasa āviṣ karta mahitvanā | vidhyatā vidyutā rakṣaḥ ||

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Pad Path

यू॒यम्। तत्। स॒त्य॒ऽश॒व॒सः॒। आ॒विः। क॒र्त॒। म॒हि॒ऽत्व॒ना। विध्य॑त। वि॒ऽद्युता॑। रक्षः॑ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:86» Mantra:9 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:12» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब और मनुष्यों को उन सभाध्यक्ष आदि मनुष्यों से कैसे प्रार्थना करनी चाहिये, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - हे (सत्यशवसः) नित्यबलयुक्त सभाद्यध्यक्ष आदि सज्जनो ! (यूयम्) तुम (महित्वना) उत्तम यश से (तत्) उस काम को (आविः) प्रकट (कर्त्त) करो कि जिससे (विद्युता) बिजुली के लोहे से बनाये हुए शस्त्र वा आग्नेयादि अस्त्रों के समूह से (रक्षः) खोटे काम करनेवाले दुष्ट मनुष्यों को (विध्यता) ताड़ना देते हुए मेरी सब कामना सिद्ध हों ॥ ९ ॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिए कि परस्पर प्रीति और पुरुषार्थ के साथ विद्युत् आदि पदार्थविद्या और अच्छे-अच्छे गुणों को पाकर दुष्ट स्वभावी और दुर्गुणी मनुष्यों को दूर कर नित्य अपनी कामना सिद्ध करें ॥ ९ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथेतरमनुष्यैस्ते सभाध्यक्षादयो मनुष्याः कथं प्रार्थनीया इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे सत्यशवसः सभाद्यध्यक्षादयो ! यूयं महित्वना तत्काममाविष्कर्त येन विद्युता रक्षो विध्यता मया सर्वे कामाः प्राप्येरन् ॥ ९ ॥

Word-Meaning: - (यूयम्) (तत्) (सत्यशवसः) नित्यं बलं येषान्तत्सम्बुद्धौ (आविः) प्रकटीभावे (कर्त्त) कुरुत। विकरणस्यात्र लुक्। (महित्वना) महिम्ना (विध्यता) ताडनकर्त्रा (विद्युता) विद्युन्निष्पन्नेनास्त्रसमूहेन (रक्षः) दुष्टकर्मकारी मनुष्यः ॥ ९ ॥
Connotation: - मनुष्यैः परस्परं प्रीत्या पुरुषार्थेन विद्याः प्राप्य दुष्टस्वभावगुणं मनुष्यं निवार्य कामसिद्धिर्नित्यं कार्येति ॥ ९ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी परस्पर प्रेम व पुरुषार्थाने विद्युत इत्यादी पदार्थविद्या व उत्तम गुणांचा स्वीकार करून दुष्ट व दुर्गुणी माणसांना दूर करून नित्य आपली कामना सिद्ध करावी. ॥ ९ ॥