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श॒श॒मा॒नस्य॑ वा नरः॒ स्वेद॑स्य सत्यशवसः। वि॒दा काम॑स्य॒ वेन॑तः ॥

English Transliteration

śaśamānasya vā naraḥ svedasya satyaśavasaḥ | vidā kāmasya venataḥ ||

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Pad Path

श॒श॒मा॒नस्य॑। वा॒। न॒रः॒। स्वेद॑स्य। स॒त्य॒ऽश॒व॒सः॒। वि॒द। काम॑स्य। वेन॑तः ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:86» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:12» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

उनके सङ्ग से मनुष्यों को क्या जानना चाहिये, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - हे (नरः) मनुष्यो ! तुम सभाध्यक्षादिकों के संग (वा) पुरुषार्थ से (शशमानस्य) जानने योग्य (सत्यशवसः) जिसमें नित्य पुरुषार्थ करना हो (वेनतः) जो कि सब शास्त्रों से सुना जाता हो तथा कामना के योग्य और (स्वेदस्य) पुरुषार्थ से सिद्ध होता है, उस (कामस्य) काम को (विद) जानो अर्थात् उसको स्मरण से सिद्ध करो ॥ ८ ॥
Connotation: - कोई पुरुष विद्वानों के संग विना सत्य काम और अच्छे-बुरे को जान नहीं सकता। इससे सबको विद्वानों का संग करना चाहिये ॥ ८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैस्तेषां सङ्गेन किं विज्ञातव्यमित्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे नरो ! यूयं सभाद्यध्यक्षादीनां सङ्गेन स्वपुरुषार्थेन वा शशमानस्य सत्यशवसो वेनतः स्वेदस्य कामस्य विद विजानीत ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (शशमानस्य) विज्ञातव्यस्य। अत्र सर्वत्र अधिगर्थ इति शेषत्वविवक्षायां षष्ठी। (वा) अथवा (नरः) सर्वकार्यनेतारो मनुष्यास्तत्सम्बुद्धौ (स्वेदस्य) पुरुषार्थेन जायमानस्य (सत्यशवसः) नित्यदृढबलस्य (विद) वित्थ। द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (कामस्य) (वेनतः) सर्वशास्त्रैः श्रुतस्य कमनीयस्य। अत्र वेनृधातोर्बाहुलकादौणादिकोऽति प्रत्ययः ॥ ८ ॥
Connotation: - नहि कश्चिद्विदुषां सङ्गेन विना सत्यान् कामान् सदसद्विज्ञातुं च शक्नोति, तस्मादेतत् सर्वैरनुष्ठेयम् ॥ ८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - कोणताही पुरुष विद्वानांच्या संगतीशिवाय सत्य कार्य व चांगले वाईट जाणू शकत नाही. त्यामुळे विद्वानांची संगती केली पाहिजे. ॥ ८ ॥