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अ॒स्य वी॒रस्य॑ ब॒र्हिषि॑ सु॒तः सोमो॒ दिवि॑ष्टिषु। उ॒क्थं मद॑श्च शस्यते ॥

English Transliteration

asya vīrasya barhiṣi sutaḥ somo diviṣṭiṣu | uktham madaś ca śasyate ||

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Pad Path

अ॒स्य। वी॒रस्य॑। ब॒र्हिषि॑। सु॒तः। सोमः॑। दिवि॑ष्टिषु। उ॒क्थम्। मदः॑। च॒। श॒स्य॒ते॒ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:86» Mantra:4 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:11» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उन शिक्षित मनुष्यों से क्या होता है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! आपके सुशिक्षित (अस्य) इस (वीरस्य) वीर का (सुतः) सिद्ध किया हुआ (सोमः) ऐश्वर्य (दिविष्टिषु) उत्तम इष्टिरूप कर्मों से सुखयुक्त व्यवहारों में (उक्थम्) प्रशंसित वचन (बर्हिषि) उत्तम व्यवहार के करने में (मदः) आनन्द (च) और सद्विद्यादि गुणों का समूह (शस्यते) प्रशंसित होता है, अन्य का नहीं ॥ ४ ॥
Connotation: - विद्वानों की शिक्षा के विना मनुष्यों में उत्तम गुण उत्पन्न नहीं होते। इससे इसका अनुष्ठान नित्य करना चाहिये ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तै शिक्षितैः किं जायत इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! भवच्छिक्षितस्यास्य वीरस्य सुतः सोमो दिविष्टिषूक्थं बर्हिषि मदो गुणसमूहश्च शक्यते नेतरस्य ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (अस्य) (वीरस्य) विज्ञानशौर्य्यनिर्भयाद्युपेतस्य (बर्हिषि) उत्तमे व्यवहारे कृते सति (सुतः) निष्पन्नः (सोमः) ऐश्वर्यसमूहः (दिविष्टिषु) दिव्या इष्टयः सङ्गतानि कर्माणि सुखानि वा येषु व्यवहारेषु तेषु (उक्थम्) शास्त्रप्रवचनम् (मदः) आनन्दः (च) विद्यादयो गुणाः (शस्यते) स्तूयते ॥ ४ ॥
Connotation: - विदुषां शिक्षया विना मनुष्येषूत्तमा गुणा न जायन्ते तस्मादेतन्नित्यमनुष्ठेयम् ॥ ४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - विद्वानांनी दिलेल्या शिक्षणाशिवाय माणसांमध्ये उत्तम गुण उत्पन्न होत नाहीत. त्यामुळे त्याचे अनुष्ठान नित्य करावे. ॥ ४ ॥