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मरु॑तो॒ यस्य॒ हि क्षये॑ पा॒था दि॒वो वि॑महसः। स सु॑गो॒पात॑मो॒ जनः॑ ॥

English Transliteration

maruto yasya hi kṣaye pāthā divo vimahasaḥ | sa sugopātamo janaḥ ||

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Pad Path

मरु॑तः। यस्य॑। हि। क्षये॑। पा॒थ। दि॒वः। वि॒ऽम॒ह॒सः॒। सः। सु॒ऽगो॒पात॑मः। जनः॑ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:86» Mantra:1 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह गृहस्थ कैसा हो, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - हे (विमहसः) नाना प्रकार पूजनीय कर्मों के कर्त्ता ! (दिवः) विद्यान्यायप्रकाशक तुम लोग (मरुतः) वायु के समान विद्वान् जन (यस्य) जिसके (क्षये) घर में (पाथ) रक्षक हो (सः हि) वही (सुगोपातमः) अच्छे प्रकार (जनः) मनुष्य होवे ॥ १ ॥
Connotation: - जैसे प्राण के विना शरीरादि का रक्षण नहीं हो सकता, वैसे सत्योपदेशकर्त्ता के विना प्रजा की रक्षा नहीं होती ॥ १ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स गृहस्थः कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे विमहसो ! दिवो यूयं मरुतो यस्य क्षये पाथ स हि खलु सुगोपातमो जनो जायेत ॥ १ ॥

Word-Meaning: - (मरुतः) प्राणा इव प्रिया विद्वांसः (यस्य) (हि) खलु (क्षये) गृहे (पाथ) रक्षका भवथ। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (दिवः) विद्यान्यायप्रकाशकाः (विमहसः) विविधानि महांसि पूज्यानि कर्माणि येषां तत्सम्बुद्धौ (सः) (सुगोपातमः) अतिशयेन सुष्ठु स्वस्यान्येषां च रक्षकः (जनः) मनुष्यः ॥ १ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा प्राणेन विना शरीरादिरक्षणं न सम्भवति, तथैव सत्योपदेशकेन विना प्रजारक्षणं न जायते ॥ १ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात शरीरात स्थित असलेले प्राण इत्यादी वायू इच्छित सुख सिद्ध करून सर्वांचे रक्षण करतात. तसेच सभाध्यक्ष इत्यादींनी संपूर्ण राज्याचे यथायोग्य रक्षण करावे. या अर्थाच्या वर्णनाने या सूक्तात सांगितलेल्या अर्थाची मागील सूक्ताच्या अर्थाबरोबर एकरूपता जाणली पाहिजे. ॥

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जसे प्राणाशिवाय शरीर इत्यादीचे रक्षण होऊ शकत नाही. तसे सत्य उपदेशकाशिवाय प्रजेचे रक्षण होत नाही. ॥ १ ॥