Go To Mantra

स घा॒ तं वृष॑णं॒ रथ॒मधि॑ तिष्ठाति गो॒विद॑म्। यः पात्रं॑ हारियोज॒नं पू॒र्णमि॑न्द्र॒ चिके॑तति॒ योजा॒ न्वि॑न्द्र ते॒ हरी॑ ॥

English Transliteration

sa ghā taṁ vṛṣaṇaṁ ratham adhi tiṣṭhāti govidam | yaḥ pātraṁ hāriyojanam pūrṇam indra ciketati yojā nv indra te harī ||

Mantra Audio
Pad Path

सः। घ॒। तम्। वृष॑णम्। रथ॑म्। अधि॑। ति॒ष्ठा॒ति॒। गो॒विद॑म्। यः। पात्र॑म्। हा॒रि॒ऽयो॒ज॒नम्। पू॒र्णम्। इ॒न्द्र॒। चिके॑तति। योज॑। नु। इ॒न्द्र॒। ते॒। हरी॒ इति॑ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:82» Mantra:4 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:3» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:13» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह कैसा हो, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) परमविद्याधनयुक्त ! (यः) जो आप (हारियोजनम्) अग्नि वा घोड़ों से युक्त किये इस (पूर्णम्) सब सामग्री से युक्त (पात्रम्) रक्षा निमित्त (रथम्) रथ को बनाना (चिकेतति) जानते हो (सः) सो उस रथ में (हरी) वेगादिगुणयुक्त घोड़ों को (नु योज) शीघ्र युक्त कर। हे (इन्द्र) सेनापते ! जो (ते) आप के (वृषणम्) शत्रु के सामर्थ्य का नाशक (गोविदम्) जिससे भूमि का राज्य प्राप्त हो (तम्) उस रथ पर (अधितिष्ठाति) बैठे, (घ) वही विजय को प्राप्त क्यों न होवे ॥ ४ ॥
Connotation: - सेनापति को योग्य है कि शिक्षा बल से हृष्ट-पुष्ट हाथी, घोड़े रथ, शस्त्र-अस्त्रादि सामग्री से पूर्ण सेना को प्राप्त करके शत्रुओं को जीता करे ॥ ४ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे इन्द्र ! यो भवान् हारियोजनं पूर्णं पात्रं रथं चिकेतति, स त्वं तस्मिन् रथे हरी नु योज। हे इन्द्र ! यस्ते तं वृषणं गोविदं रथमधितिष्ठाति स घ कथं न विजयते ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (सः) विद्वान् वीरः (घ) एव (तम्) (वृषणम्) शत्रूणां शक्तिबन्धकम् (रथम्) ज्ञानम् (अधि) उपरि (तिष्ठाति) तिष्ठतु (गोविदम्) गां भूमिं विन्दति येन तम् (यः) (पात्रम्) पद्यते येन तत् (हारियोजनम्) हरयोऽश्वा युज्यन्ते यस्मिंस्तत् (पूर्णम्) समग्रशस्त्रास्त्रसामग्रीसहितम् (इन्द्र) परमैश्वर्य्यप्रापक (चिकेतति) जानाति (योज) अश्वैर्युक्तं कुरु (नु) शीघ्रम् (इन्द्र) परमैश्वर्यप्रापक (ते) तव (हरी) हरणशीलौ वेगाकर्षणाख्यावश्वौ ॥ ४ ॥
Connotation: - सेनाध्यक्षेण पूर्णशिक्षाबलहर्षितां हस्त्यश्वरथशस्त्रादिसामग्रीपरिपूर्णां सेनां सम्पाद्य शत्रवो विजेयाः ॥ ४ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - सेनापतीने पूर्ण शिक्षणाने व बलाने धष्टपुष्ट हत्ती, घोडे, रथ शस्त्र, अस्त्र इत्यादीनी पूर्ण सेना तयार करून शत्रूंना जिंकावे. ॥ ४ ॥