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तमु॑ त्वा वाज॒सात॑ममङ्गिर॒स्वद्ध॑वामहे। द्यु॒म्नैर॒भि प्र णो॑नुमः ॥

English Transliteration

tam u tvā vājasātamam aṅgirasvad dhavāmahe | dyumnair abhi pra ṇonumaḥ ||

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Pad Path

तम्। ऊँ॒ इति॑। त्वा॒। वा॒ज॒ऽसात॑मम्। अ॒ङ्गि॒र॒स्वत्। ह॒वा॒म॒हे॒। द्यु॒म्नैः। अ॒भि। प्र। नो॒नु॒मः॒ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:78» Mantra:3 | Ashtak:1» Adhyay:5» Varga:26» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:13» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह विद्वान् कैसा हो, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (द्युम्नैः) पुण्यरूपी कीर्तियों के साथ जिस (वाजसातमम्) अतिप्रशंसित बोधों से युक्त विद्वान् की और (त्वा) आपकी हम लोग (हवामहे) स्तुति करें (उ) अच्छे प्रकार (अङ्गिरस्वत्) प्रशंसित प्राण के समान (अभि) सब ओर से (प्र णोनुमः) सत्कार करते हैं सो तुम (तम्) उसी की स्तुति और प्रणाम किया करो ॥ ३ ॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! तुम लोग विद्वान् को उक्त प्रकार के सत्कार से सन्तुष्ट करके धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध करो ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! विद्वांसो वयं यं द्युम्नैर्वाजसातमं त्वामु हवामहे स्तुमो यमङ्गिरस्वदभिप्रणोनुमस्तं त्वं स्तुहि प्रणम ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (तम्) यशस्विनम् (उ) वितर्के (त्वा) त्वाम् (वाजसातमम्) यो वाजान् प्रशस्तान् बोधान् संभजते सोऽतिशयितस्तम् (अङ्गिरस्वत्) प्रशस्तप्राणवत् (हवामहे) स्वीकुर्मः (द्युम्नैः) पुण्ययशोभिः सह (अभि) सर्वतः (प्र) प्रकृष्टे (नोनुमः) स्तुमः ॥ ३ ॥
Connotation: - हे मनुष्या ! एवं सत्कारेण विदुषः सन्तोष्य धर्मार्थकाममोक्षसिद्धिं कुरुत ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! तुम्ही विद्वानांचा वरील प्रकारे सत्कार करून संतुष्ट करा व धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सिद्ध करा. ॥ ३ ॥